N1Live Himachal पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना मौत की कुंजी हो सकती है: ऊना विधायक
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पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना मौत की कुंजी हो सकती है: ऊना विधायक

Pekhubela solar power project may be the key to death: Una MLA

ऊना के विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने आज कहा कि हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम के मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत का संबंध वर्तमान कांग्रेस शासन के दौरान ऊना विधानसभा क्षेत्र के पेखूबेला गांव में स्थापित 32 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र से हो सकता है।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए सत्ती ने कहा कि ऊना में सौर ऊर्जा संयंत्र 240 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान गुजरात के कच्छ जिले में स्थापित 35 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र केवल 140 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने आरोप लगाया है कि पेखुबेला परियोजना में 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है। उन्होंने कहा कि नेगी पर कथित तौर पर परियोजना से जुड़ी फाइलों पर हस्ताक्षर करने का दबाव था। भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी लगातार विमल नेगी की मौत के मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की मांग कर रही है, लेकिन मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी भाजपा की मांगों को टालते रहे हैं। अब जबकि मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है, भाजपा को उम्मीद है कि कुछ बड़े नाम सामने आएंगे।

सत्ती ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि नेगी के शव के पास एक पेन ड्राइव मिली थी, जो गायब हो गई है। उन्होंने कहा कि नेगी की मौत पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई है।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के बयान कि सीबीआई एक “तोता” है, पर पलटवार करते हुए सत्ती ने कहा कि एक मंत्री के लिए एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय के बारे में अनाप-शनाप बातें करना उचित नहीं है।

भाजपा विधायक ने कहा कि डीजीपी और शिमला एसपी के बीच हुई मौखिक बहस के बाद सरकारी अधिकारियों की मामले को दबाने, जांच की दिशा बदलने और माफियाओं के साथ मिलीभगत स्पष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि यह सब सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण के बिना संभव नहीं हो सकता।

सत्ती ने आरोप लगाया कि जब से कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है, तब से हर जगह अराजकता का माहौल है और संदिग्ध छवि वाले अधिकारी सरकार में दबदबा बनाए हुए हैं। सत्ता में बैठे अधिकारियों और नेताओं के बीच न कोई प्रोटोकॉल है, न कोई समन्वय और न ही कोई अनुशासन। उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसे नेताओं और अधिकारियों के हाथों में राज्य सुरक्षित है।

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