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संघ में सभी धर्मों के लोग शामिल हो सकते हैं : चक्रपाणि महाराज

People of all religions can join the Sangha: Chakrapani Maharaj

अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्‍होंने कहा है कि संघ सत्ता की चाहत नहीं रखता, और किसी भी धर्म के लोग इसमें शामिल हो सकते हैं।

चक्रपाणि ने कहा कि निश्चित रूप से किसी भी राष्ट्रवादी संगठन में सभी धर्मों के लोगों की सहभागिता होनी चाहिए और संघ इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है। चक्रपाणि ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 में हुई थी और तब से अब तक इस संगठन ने पूरे देश को जोड़ने का कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि संघ की स्थापना का उद्देश्य हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पर आधारित था। लेकिन, यह हिंदू राष्ट्र किसी संकीर्ण दृष्टिकोण का प्रतीक नहीं, बल्कि समस्त धर्मों की सहभागिता सुनिश्चित करने वाला राष्ट्र है। आज संघ के कई अनुषांगिक संगठन हैं, जिनमें मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोगों की भी भागीदारी है।

उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति का मूल सनातन हिंदुत्व है, जो सबको जोड़ने वाला दर्शन है। मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोगों के पूर्वज भी हिंदू ही थे, इसलिए हमारी जड़ें एक ही हैं। इस बात को समझने की जरूरत है कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर सनातन परंपरा से जुड़ी है और सभी धर्म मिलकर इस देश को विश्व गुरु बनाने में योगदान दे सकते हैं।”

चक्रपाणि ने आगे कहा कि आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संगठन की नींव हिंदू राष्ट्र की भावना के साथ रखी थी, और इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का यह बयान उस समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसके तहत आरएसएस केवल धार्मिक नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना से कार्य कर रहा है।

बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने रविवार को संघ के आउटरीच कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए कहा, “किसी भी ब्राह्मण, शैव, मुसलमान या ईसाई को संघ से बाहर नहीं रखा गया है। केवल हिंदुओं को ही अनुमति है, और हिंदू से हमारा तात्पर्य उन सभी से है, जो इस भूमि को अपनी मातृभूमि मानते हैं। विभिन्न संप्रदायों के लोग संघ में आ सकते हैं। बस, अपनी अलग पहचान को अलग रखें।”

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