महेंद्रगढ़, 20 जून चिलचिलाती गर्मी के बावजूद, 20 से अधिक ग्रामीण धोलेरा गांव के बस स्टैंड पर एक दुकान के बाहर बैठे हैं और हुक्का पी रहे हैं।
वे किसी आयोजन के लिए एकत्र नहीं हुए हैं, उनका उद्देश्य बगल के गांव बिगोपुर से आने वाली सड़क पर नजर रखना है ताकि बिगोपुर के लोग धोलेरा में प्रवेश न कर सकें। गौरतलब है कि यह निगरानी सिर्फ दिन में ही नहीं, बल्कि रात में भी रखी जा रही है।
कारण यह है कि बिगोपुर गांव के एक युवक और धोलेरा गांव की एक युवती ने कुछ दिन पहले दोनों गांवों की सदियों पुरानी परंपरा के विरुद्ध गुपचुप तरीके से शादी कर ली। वे लोग बदनामी के डर से फिलहाल नारनौल शहर में रह रहे हैं। दोनों पढ़ाई कर रहे हैं।
धोलेरा गांव के लोग इतने नाराज हैं कि उन्होंने बिगोपुर के लोगों के गांव में घुसने पर पाबंदी लगा दी है। उनका कहना है कि दोनों गांवों के बीच सदियों से भाईचारा रहा है, इसलिए एक-दूसरे के गांव में शादी-ब्याह नहीं हो सकते।
बिगोपुर गांव के निवासी प्रतिबंध से परेशान हैं क्योंकि वे न तो रोडवेज बसों में यात्रा कर पा रहे हैं और न ही बैंक और डाकघरों की सुविधाओं का उपयोग कर पा रहे हैं क्योंकि इन सभी सुविधाओं के लिए उन्हें धोलेरा जाना पड़ता है। बिगोपुर गांव के करीब आठ निवासी धोलेरा में अपनी दुकानें चलाते हैं और प्रतिबंध के कारण वे अपनी दुकानें नहीं खोल पा रहे हैं। दोनों गांव एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
धोलेरा के पूर्व पंच लालचंद हुक्का पीते हुए बिना किसी झिझक के कहते हैं कि कुछ दिन पहले ही आसपास के गांवों की संयुक्त पंचायत ने बिगोपुर के लोगों का धोलेरा गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया था, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की शादी की हिम्मत न कर सके।
उन्होंने सवाल उठाया, “दोनों गांवों के लोग सदियों से भाईचारा बनाए हुए हैं। लड़के-लड़कियां एक-दूसरे के भाई-बहन जैसे हैं। किसी को शादी करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है?”
धोलेरा गांव के एक अन्य निवासी शिवचरण ने कहा कि भाईचारा बनाए रखने के लिए दंपत्ति को अलग करना जरूरी है, इसलिए गांव वालों की इच्छा है कि युवक के परिवार को उनकी लड़की उन्हें वापस सौंप देनी चाहिए।
एक अन्य ग्रामीण महेंद्र सिंह ने दावा किया कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक वे न तो बिगोपुर के किसी निवासी को यहां दुकान खोलने देंगे और न ही उन्हें धोलेरा में प्रवेश करने देंगे।
दूसरी ओर बिगोपुर गांव के महिपाल ने कहा कि वे भाईचारे का समर्थन करते हैं, लेकिन प्रतिबंध कोई समाधान नहीं है।
एक अन्य ग्रामीण शिवचरण ने बताया कि वह एक दशक से धोलेरा गांव में निर्माण सामग्री की दुकान चला रहा था, लेकिन विवाद के बाद धोलेरा के लोगों ने उसे दुकान खाली करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हूं।”
एक अन्य ग्रामीण वीरेंद्र ने कहा कि कॉलेज जाने वाले लड़के और लड़कियां गांव से बाहर नहीं जा पाते हैं क्योंकि बस स्टैंड धोलेरा में स्थित है। निजामपुर थाना प्रभारी जगदीश ने बताया कि शांति बनाए रखने के लिए निगरानी रखी जा रही है।