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महाराष्ट्र की जनता ने उद्धव और राज ठाकरे को नकारा, मराठी हित के लिए महायुति बेहतर: राजू वाघमारे

People of Maharashtra rejected Uddhav and Raj Thackeray, Mahayuti is better for Marathi interests: Raju Waghmare

शिवसेना प्रवक्ता राजू वाघमारे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की राजनीतिक प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने दोनों को पूरी तरह नकार दिया है।

उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में दावा किया कि मराठी हित और महाराष्ट्र की प्रगति के लिए महायुति सरकार ही सही दिशा में काम कर रही है। वाघमारे ने कहा कि उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने या न आने से राज्य की राजनीति या जनजीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

वाघमारे ने राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थिति पर तंज कसते हुए कहा कि इतने सालों की राजनीति के बावजूद उनकी पार्टी का एक भी विधायक या कॉर्पोरेटर नहीं है।

वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे के पास कभी 56 विधायक थे, अब 20 बचे हैं। 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद अगर 20 सीटें मिलती हैं, तो यह साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें खारिज कर दिया।”

मराठी हित के मुद्दे पर वाघमारे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार ने मराठी लोगों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव के शासन में मराठी लोग केवल “वड़ा पाव बेचने” तक सीमित रहे। इसके उलट, महायुति सरकार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठी भाषा को अभिजात्य वर्ग का दर्जा दिलवाया और स्कूलों में मराठी को अनिवार्य किया।

उन्होंने कहा, “मराठी को बढ़ावा देने का काम महायुति सरकार ने किया, न कि उद्धव ठाकरे ने।” वाघमारे ने उद्धव ठाकरे पर बालासाहेब ठाकरे के विचारों को छोड़कर कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, “बालासाहेब के हिंदुत्व और मराठी अस्मिता के विचारों को आज एकनाथ शिंदे ही आगे बढ़ा रहे हैं और जनता ने उन्हें स्वीकार किया है।” उन्होंने मुंबई के विकास का श्रेय भी महायुति सरकार को दिया और कहा कि उद्धव के 28 साल के शासन में मुंबई “बर्बाद” हुई, जबकि अब प्रवासी मराठी लोगों को मुंबई में घर देने की कोशिश हो रही है।

वाघमारे ने पश्चिम बंगाल की स्थिति पर भी टिप्पणी की और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हिंसा को नियंत्रित न कर पाने के लिए ममता को इस्तीफा देना चाहिए या केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए।

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