प्रयागराज, 27 अक्टूबर देश के दूरदराज के इलाकों में हवाई सेवा को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू की गई केंद्र सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) ‘उड़ान’ को शुरू हुए आठ साल पूरे हो गए हैं। इस योजना से उन यात्रियों को काफी राहत मिली है जो हवाई यात्रा के लिए पहले सड़क मार्ग से बड़े शहरों तक जाते थे और फिर वहां से फ्लाइट पकड़ते थे। प्रयागराज के रहने वाले लोगों ने भी इस योजना की तारीफ की और कहा कि उन्हें इससे काफी लाभ हुआ है।
प्रयागराज में रहने वाली एमबीए की छात्रा मान्या ने कहा, ” ‘उड़ान’ काफी अच्छी योजना है। यहां से मुझे हैदराबाद जाना होता था। पहले मुझे डायरेक्ट उड़ान नहीं मिलती थी। वाराणसी या कानपुर जाना पड़ता था। अब मुझे डायरेक्ट उड़ान मिल जाती है।”
स्मृति ने बताया, “हम लोग जब फ्लाइट से यात्रा करते थे तो पहले लखनऊ जाना पड़ता था। काफी ऊर्जा भी खत्म होती थी। अब डायरेक्ट उड़ान मिल जाती है। इस योजना के बारे में पहले सिर्फ उम्मीद थी, लेकिन मोदी सरकार ने इस पूरा किया है।”
अश्विनी सिंह ने कहा, “दूसरे मेट्रो शहरों से प्रयागराज की कनेक्टिविटी बढ़ी है। पहले हमें वाराणसी से फ्लाइट पकड़नी पड़ती थी। अब प्रयागराज से सारे शहरों की कनेक्टिविटी हो गई है। हमने नहीं सोचा था कि प्रयागराज से कभी दूसरे शहरों के लिए फ्लाइट ले सकेंगे।”
अब यहां से फ्लाइट की संख्या भी काफी बढ़ गई है। सात्विक ने बताया, “मैं अभी दिल्ली से डायरेक्ट फ्लाइट पकड़ कर आया हूं। पहले वाराणसी जाना पड़ता था। कभी नहीं सोचा था कि इस तरह की योजनाएं आएंगी। जब प्रधानमंत्री मोदी आए तो हमारी काफी उम्मीदे बढ़ गई थी। अब प्रयागराज से दूसरे राज्यों तक सीधे फ्लाइट पकड़ कर जा सकते हैं।”
‘उड़ान’ योजना राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (एनसीएपी) 2016 का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका शुभारंभ 21 अक्टूबर 2016 को 10 वर्ष के विजन के साथ किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अप्रैल 2017 को शिमला को दिल्ली से जोड़ने वाली पहली आरसीएस-उड़ान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। यह योजना दूरदराज के इलाकों के शहरों को बड़े और मेट्रो शहरों से जोड़ने में कामयाब रही है। इसके तहत दूरी के हिसाब से अधिकतम किराया सरकार तय करती है। इसके कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार विमान सेवा कंपनी को क्षतिपूर्ति राशि (वीजीएफ) प्रदान करती है।
अब तक, आरसीएस-उड़ान की फ्लाइटों ने एक करोड़ 44 लाख से अधिक यात्रियों उनके गंतव्यों तक पहुंचाया है।