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राजनीति में सच बोलने का साहस होना चाहिए: मोदी

Prime Minister Narendra Modi addressing the inaugural session of the First All India District Legal Services Authorities Meet, in New Delhi

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि राजनीति में लोगों में सच बोलने की हिम्मत होनी चाहिए लेकिन कुछ राज्य इससे बचने की कोशिश करते हैं।

प्रधानमंत्री ने यहां पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का वर्चुअली शुभारंभ करने के बाद यह टिप्पणी की। उन्होंने एनटीपीसी की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी और राष्ट्रीय सौर रूफटॉप पोर्टल का शुभारंभ किया। पीएम मोदी ने कहा कि समय बीतने के साथ, ‘हमारी राजनीति में एक गंभीर अव्यवस्था आ गई है’।

पीएम मोदी ने कहा, “राजनीति में लोगों में सच बोलने का साहस होना चाहिए, लेकिन हम देखते हैं कि कुछ राज्य इससे बचने की कोशिश करते हैं। यह रणनीति अल्पावधि में अच्छी राजनीति की तरह लग सकती है। लेकिन यह आज की सच्चाई, आज की चुनौतियों को कल के लिए हमारे बच्चों के लिए और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थगित करने जैसा है। आज की समस्याओं के समाधान से बचने और उन्हें भविष्य के लिए छोड़ने की यह सोच देश के लिए अच्छी नहीं है।”

उन्होंने कहा, “इस विचार प्रक्रिया ने कई राज्यों में बिजली क्षेत्र को बड़ी समस्याओं की ओर धकेल दिया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे वितरण क्षेत्र में घाटा दोहरे अंक में है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में वितरण और पारेषण (डिस्ट्रीब्यूशन एंड ट्रांसमिशन) घाटे को कम करने में निवेश की कमी है।

प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि विभिन्न राज्यों पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। पीएम ने कहा, “उन्हें यह पैसा बिजली उत्पादन कंपनियों को देना है। बिजली वितरण कंपनियों पर कई सरकारी विभागों और स्थानीय निकायों का 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया है।” उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को बिजली पर सब्सिडी के लिए अलग-अलग राज्यों में समय पर और पूरा पैसा भी नहीं मिल पा रहा है और यह बकाया भी 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।

प्रधानमंत्री ने जिन राज्यों का बकाया बकाया है, उन्हें जल्द से जल्द भुगतान करने का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा, “साथ ही ईमानदारी से उन कारणों पर भी विचार करें कि जब देशवासी ईमानदारी से अपने बिजली के बिलों का भुगतान करते हैं, तो कुछ राज्यों का बार-बार बकाया क्यों होता है?” प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ‘राजनीति’ का मामला नहीं है, बल्कि यह ‘राष्ट्र नीति’ और राष्ट्र निर्माण से संबंधित है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने तक हमने 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता सृजित करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि आज हम इस लक्ष्य के करीब आ गए हैं और अब तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से लगभग 170 गीगावाट क्षमता स्थापित की जा चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिजली का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ सरकार का जोर बिजली बचाने पर भी है।

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