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ईडी के अफसरों के खिलाफ हेमंत सोरेन की एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका

Petition in High Court to cancel Hemant Soren's FIR against ED officers

रांची, 5 फरवरी । ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से उसके अधिकारियों के खिलाफ एसटी-एससी एक्ट में दर्ज कराई गई एफआईआर को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें सोरेन की ओर से लगाए गए आरोपों को निराधार बताया गया है।

सोरेन ने बीते 31 जनवरी को ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज, असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा, अनुपम कुमार एवं अन्य के खिलाफ रांची स्थित एसटी-एससी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।

इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि 29 जनवरी को उनके दिल्ली स्थित आवास की ईडी अफसरों द्वारा जिस तरह तलाशी ली गई और जिस तरह उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया, वह अपमानजनक है।

सोरेन का कहना है कि वे अनुसूचित जनजाति से हैं। ईडी का ऑपरेशन उन्हें और उनके पूरे समुदाय को अपमानित करने वाला है।

सोरेन के मुताबिक वे 27 और 28 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली के दौरे पर थे और शांति निकेतन में झारखंड सरकार की ओर से उनके आवास एवं कार्यालय के लिए लीज पर लिए गए मकान में रुके थे। 29 जनवरी 2024 को उन्हें पता चला कि ईडी के अधिकारियों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर उस परिसर में कथित तलाशी ली थी।

सोरेन ने अपने आवेदन में लिखा, “यह कथित तलाशी उन्हें कोई सूचना दिए बगैर ली गई। वे 30 जनवरी को रांची लौटे तो इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी सर्च करने वाले इन अधिकारियों की करतूत देखी। मुझे और मेरे पूरे समुदाय को परेशान करने और बदनाम करने के लिए झारखंड भवन, नई दिल्ली और 5/01, शांति निकेतन, नई दिल्ली में ऑपरेशन किया गया।”

सोरेन ने कहा है कि ईडी के अधिकारियों ने मुझे 29 और 31 जनवरी को रांची में उपस्थित रहने के लिए कहा था। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा व्यापक कवरेज से यह स्पष्ट है कि ईडी अधिकारियों ने मीडिया को इसकी जानकारी दी थी, ताकि मीडिया में तमाशा बनाया जा सके और आम जनता की नजरों में उनकी बदनामी हो। उन्हें 30 जनवरी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि ईडी के अधिकारियों ने गलत सूचना लीक की है कि आवास परिसर से जब्त की गई नीली बीएमडब्ल्यू कार मेरी है और मेरे परिसर से भारी मात्रा में अवैध नकदी मिली थी। मैं बीएमडब्ल्यू निर्मित उस कार का मालिक नहीं हूं, जिसके मालिक होने का दावा ईडी के अधिकारियों ने किया है। ईडी के अधिकारियों और अज्ञात अन्य लोगों ने, जो किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य नहीं हैं, जानबूझकर मुझे सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए यह कृत्य किया है।

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