अजमेर, 5 जनवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सालाना उर्स के मौके पर चादर लेकर पहुंचे। वहां पहुंचने पर दरगाह के गद्दी नशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती एवं सैयद अफशान चिश्ती तथा खुद्दामे ख्वाजा गरीब नवाज समुदाय के अन्य सदस्यों ने उनका स्वागत किया।
इस मौके पर उनके साथ किशनगढ़ संसदीय क्षेत्र के मंत्री भागीरथ चौधरी, राजस्थान के राज्य मंत्री सुरेश सिंह रावत के साथ एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था। यह जानकारी दरगाह की तरफ से दी गई।
दरगाह की ओर से जारी बयान में कहा गया, “हम प्रधानमंत्री के इस कदम से बेहद अभीभूत हैं, जो न केवल दरगाह अजमेर शरीफ की आध्यात्मिक विरासत के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि शांति और भाईचारे की सामूहिक भावना को भी दर्शाता है। हम 813वें उर्स मुबारक की शुभ यात्रा पर निकल रहे हैं। हम सभी क्षेत्रों के श्रद्धालुओं को हजरत ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर दरगाह दरबार शरीफ में दिव्य कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हमारे साथ शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।”
इस मौके पर हाजी सैयद सलमान चिश्ती और सैयद अफशान चिश्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक विशेष उपहार भी भेंट किया, जो दरगाह अजमेर शरीफ की एक मूल तेल कैनवास सूफी कला पेंटिंग है। जिसे किरेन रिजिजू को दरगाह अजमेर शरीफ के पवित्र तबरुकातों (प्रसाद) के साथ सौंपा गया।
रिजिजू ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी की ओर से चादर चढ़ाना पूरे देश की ओर से चादर चढ़ाने के समान है। हमारा उद्देश्य देश में सौहार्दपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देना है। लाखों लोग इस दरगाह पर आते हैं, जिन्हें अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, यही वजह है कि नई पहल की जा रही है।”
इन चुनौतियों से निपटने के लिए रिजिजू ने ‘गरीब नवाज’ ऐप और दरगाह के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “ये प्लेटफॉर्म तीर्थयात्रियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और अन्य प्रासंगिक विवरणों के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करेंगे।”
उर्स की आधिकारिक घोषणा 1 जनवरी को शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी और समिति के सदस्यों द्वारा बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागकर की गई थी।
इससे पहले 2 जनवरी को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार और बॉलीवुड के प्रतिनिधियों की ओर से चादरें पेश की गईं थीं।
अजमेर दरगाह के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री का यह कदम और रिजिजू की मौजूदगी देश के विविध सांस्कृतिक और धार्मिक परिदृश्य में एक एकीकृत प्रतीक के रूप में अजमेर दरगाह के महत्व को रेखांकित करता है।
पिछले साल, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनके साथ आए मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडल ने चादर पेश की थी।
बता दें कि अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे महत्वपूर्ण सूफी दरगाहों में से एक है, जो दुनिया भर से तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। इस वर्ष ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह का उद्देश्य सूफी संत की विरासत का सम्मान करना है, साथ ही आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत के साथ उपस्थित लोगों के लिए एक सहज अनुभव सुनिश्चित करना है।