हिमाचल प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने बिलासपुर और बद्दी के पुलिस जिलों में ‘साइबर स्वच्छता वर्जन-01’ लागू करने की कार्ययोजना तैयार की है। डीजीपी अतुल वर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को यहां एक बैठक हुई, जिसमें कार्ययोजना पर चर्चा की गई। बैठक में दोनों जिलों में प्रचलित सभी तथ्य, आंकड़े और साइबर रुझान प्रस्तुत किए गए।
बैठक शिमला स्थित पुलिस मुख्यालय में आयोजित की गई, जिसमें एडीजीपी एके यादव, डीआईजी (साइबर अपराध) मोहित चावला और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
डीजीपी ने यहां जारी एक प्रेस बयान में कहा कि ‘साइबर स्वच्छता वर्जन 01’ राज्य से साइबर अपराध करने वालों की पहचान करने, उनका पता लगाने और उन्हें खत्म करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट था। उन्होंने कहा, “परियोजना के पहले चरण में, यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बेहतर समन्वय स्थापित करने और साइबर अपराधों में जांच कौशल में सुधार करने में मदद करेगा। यह हिमाचल को अपने नागरिकों के लिए एक सुरक्षित साइबर स्पेस बनाने के लिए राज्य साइबर अपराध इकाई की एक सक्रिय पहल है।”
‘साइबर स्वच्छता केंद्र’ (बॉटनेट क्लीनिंग और मैलवेयर विश्लेषण केंद्र) केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत एक पहल है, जिसका नेतृत्व केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय करता है। इसका प्राथमिक लक्ष्य देश में बॉटनेट संक्रमणों का पता लगाकर, उपयोगकर्ताओं को सूचित करके और आगे के संक्रमणों को रोकने के लिए उनके सिस्टम को साफ करने और सुरक्षित करने में सहायता करके साइबर सुरक्षा को बढ़ाना है।
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