दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर यातायात के सामान्य प्रवाह को बहाल करने के लिए सिंघु बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाना शुरू कर दिया है। हालांकि, पुलिस को कंक्रीट के लोहे के मिश्रित पत्थर और दीवारें तोड़ने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
हालांकि बैरिकेड्स हटाने का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है, लेकिन सिंघु बॉर्डर से यातायात सुचारू होने में तीन से चार दिन से अधिक का समय लगेगा।
दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 13 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के आह्वान के कारण सिंघू सीमा को कई स्तरों पर बैरिकेड्स – कंक्रीट ब्लॉक, मिट्टी से भरे कंटेनर, कंक्रीट-लोहे की मिश्रित सीमेंट की दीवारें, कांटेदार तार और लोहे की कीलें – लगाकर सील कर दिया था।
हालांकि, 2020 में हुए पिछले किसान आंदोलन से सबक लेते हुए पुलिस ने न केवल मुख्य मार्ग पर बैरिकेडिंग कर दी, बल्कि किसानों को दिल्ली की ओर मार्च करने से रोकने के लिए दोनों तरफ की सर्विस लेन को भी सील कर दिया।
हरियाणा पुलिस ने किसानों को शंभू बॉर्डर पर रोक दिया था। इसके बाद पुलिस ने सर्विस लेन खोल दी और बाद में 13 मार्च को एनएच-44 के मुख्य कैरिजवे पर सिंगल लेन खोल दी।
पुलिस ने गुरुवार को फ्लाईओवर की गलियों से बैरिकेड्स हटाने शुरू कर दिए हैं। सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेड्स हटाने के लिए भारी मशीनरी लगाई गई है। लेकिन इन बैरिकेड्स को हटाना आसान काम नहीं है।
जिला व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय सिंगला ने बताया कि मशीनों द्वारा स्थायी बैरिकेड्स हटाए जाने के कारण पूरे दिन भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही। उन्होंने लोगों से अपील की कि बैरिकेड्स हटाए जाने तक वे दिल्ली जाने के लिए अन्य रास्ते चुनें।
कुंडली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के निदेशक सुभाष गुप्ता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने सिंघु पर आरसीसी के स्थायी ढांचे का निर्माण किया है, जिसे हटाने में काफी समय लगेगा।
Leave feedback about this