पुलिस ने रविवार को गुरु ग्रंथ साहिब के 328 स्वरूपों के गायब होने के मामले में 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। यह मामला गुरलाल सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया। जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें रूप सिंह, मंजीत सिंह, गुरबचन सिंह, सतिंदर सिंह, निशान सिंह, परमजीत सिंह, गुरमुख सिंह, जुझार सिंह, बाज सिंह, दलबीर सिंह, कमलजीत सिंह, कुलवंत सिंह, जसप्रीत सिंह, गुरबचन सिंह, सतिंदर सिंह और अमरजीत सिंह शामिल हैं।
बलदेव सिंह वडाला के नेतृत्व में सिख सद्भावना दल, कई सिख और किसान संगठनों के साथ मिलकर पिछले पांच वर्षों से स्वर्ण मंदिर की ओर जाने वाली हेरिटेज स्ट्रीट पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है तथा लापता सरूपों की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है। पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान, शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और आप विधायक इंद्रबीर सिंह निज्जर धरना स्थल पर गए, जहां महापंचायत बुलाई गई थी, और प्रदर्शनकारियों को एफआईआर की एक प्रति सौंपी।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि “सरूपों की बेअदबी और धार्मिक मानदंडों का उल्लंघन” वर्षों से हो रहा है। शिकायत के अनुसार, अपवित्रीकरण की गतिविधियां 19 मई, 2016 के बाद से शुरू हुईं। एफआईआर में कहा गया है कि कुछ लोग “पवित्र धार्मिक वस्तुओं” से जुड़े दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ करते रहे। पुलिस ने एएसआई तरलोचन सिंह द्वारा प्रथम दृष्टया सत्यापन के बाद एफआईआर दर्ज की।
एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही घंटों के भीतर उसकी एक प्रति अदालत को भेज दी गई। मामले की जाँच गिलवाली गेट पुलिस चौकी को सौंप दी गई। इस घटनाक्रम पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आप सरकार पर सिख धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने और परेशानी पैदा करने का आरोप लगाया।
एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने मामले में अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार कुलदीप सिंह गर्गज से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि 328 सरूपों के मामले की अकाल तख्त द्वारा जांच की गई थी और विभागीय कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि मामला बेअदबी का नहीं, बल्कि कुछ कर्मचारियों द्वारा धन की हेराफेरी का था।


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