ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आज विधानसभा में कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं के लिए प्रस्तावित नीति, 2024 पर विचार कर रही है।
सुल्तानपुरी ने राज्य में पंचायत स्तर तक गीले कचरे के उचित निपटान का मुद्दा उठाया, जिसमें शैम्पू की बोतलों और चिप्स के पैकेट जैसे प्लास्टिक कचरे का निपटान भी शामिल है। मंत्री ने सदन को बताया कि “राज्य के कुल 14,73,352 घरों में से 593,625 घर मवेशियों को चारा खिलाकर, 319,027 घर सामुदायिक खाद गड्ढों के माध्यम से और 126,673 घर व्यक्तिगत खाद गड्ढों के माध्यम से अपने कचरे का प्रबंधन कर रहे हैं। शेष 4,34,027 घरों का उचित गीला कचरा प्रबंधन समाधान के लिए मूल्यांकन किया जा रहा है। इस मूल्यांकन और केंद्र से धन की उपलब्धता के आधार पर, अतिरिक्त सामुदायिक और व्यक्तिगत खाद गड्ढों का निर्माण किया जाएगा।”
मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं के लिए प्रस्तावित नीति, 2024, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, अपशिष्ट पृथक्करण, संग्रहण और प्रसंस्करण उपायों को लागू करने के लिए पंचायतों के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि गैर-पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक निपटान सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने हाल ही में अंबुजा सीमेंट लिमिटेड, दारलाघाट; अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड, बागा; एसीसी सीमेंट लिमिटेड, दारलाघाट; और हीलिंग हिमालय फाउंडेशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि सीमेंट भट्टों और अन्य टिकाऊ निपटान तंत्रों में प्लास्टिक कचरे के सह-प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान की जा सके।
नाचन के विधायक विनोद कुमार द्वारा अटल आदर्श विद्यालयों की स्थिति पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि यद्यपि 28 विद्यालयों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है, परन्तु धर्मपुर, नाचन तथा कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्रों में स्थित केवल तीन विद्यालयों में ही कार्य आरम्भ किया गया है। धर्मपुर में विद्यालय का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि नाचन में विद्यालय का 65 प्रतिशत तथा कुटलैहड़ में विद्यालय का 25 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 184 जलविद्युत परियोजनाएं कार्यरत हैं तथा सरकार को इनसे रॉयल्टी के रूप में 893.58 मेगावाट मुफ्त बिजली मिल रही है।
1,471 दवा नमूने गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री धनी राम शांडिल ने बुधवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि पिछले दो वर्षों में 25 फरवरी तक हिमाचल प्रदेश में निर्मित दवाओं के 1,471 नमूने गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे हैं और छह कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। मंत्री ने शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए विधानसभा को बताया कि घटिया पाए गए इन नमूनों में से 33 कांगड़ा, 302 सिरमौर, 1,190 सोलन तथा 46 ऊना की फर्मों द्वारा निर्मित किए गए थे।
उन्होंने कहा कि दोषी फार्मा इकाइयों के खिलाफ छह महीने तक उत्पाद अनुमतियों को निलंबित करने, कारण बताओ नोटिस जारी करने, लाइसेंस रद्द करने या वापस करने तथा उत्पाद जब्त करने जैसी कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में जांच चल रही है। – पीटीआई
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