यमुनानगर, 17 जुलाई हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी), यमुनानगर ने सीवर लाइनों में अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ने के लिए 25 औद्योगिक इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा एकत्र किए गए नमूनों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए आईआईटी-रुड़की भेजे जाने के बाद यह कार्रवाई की गई। जानकारी के अनुसार, एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी वीरेंद्र सिंह पुनिया ने हाल ही में इन 25 इकाइयों को बंद करने के लिए नोटिस जारी किया था।
ये नोटिस जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33ए तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31ए के तहत जारी किए गए।
नोटिस के अनुसार, वायु एवं जल अधिनियमों के तहत इन इकाइयों को दी गई संचालन सहमति (सीटीओ) प्रमाणपत्र को रद्द करने के अलावा, पर्यावरण क्षतिपूर्ति भी लगाई जा सकती है।
ये प्रकृति में जल और वायु प्रदूषणकारी इकाइयाँ हैं और एचएसपीसीबी की सहमति प्रबंधन नीति के अनुसार ‘लाल’ श्रेणी में आती हैं।
यमुनानगर के एचएसपीसीबी के सहायक पर्यावरण अभियंता अभिजीत सिंह तंवर ने बताया कि सीपीसीबी द्वारा नियुक्त एक टीम ने अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों (जीपीआई) का निरीक्षण करने के लिए ऐसी इकाइयों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि आईआईटी-रुड़की के अधिकारियों की एक टीम ने इन इकाइयों का दौरा किया और इन इकाइयों के अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (ईटीपी) के आउटलेट से नमूने एकत्र किए।
उन्होंने कहा कि विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, पीएच, टीडीएस, क्लोराइड और नाइट्रेट सहित कई पैरामीटर निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए।
कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, “आप अनुपचारित अपशिष्ट का निपटान करने में लगे हुए हैं, इस प्रकार जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 का उल्लंघन कर रहे हैं। कोई भी प्राधिकारी/व्यक्ति इस तरह के अनुपचारित अपशिष्ट को किसी भी जलधारा/नदी/नाले या भूमि पर छोड़ने के लिए अधिकृत नहीं है।”
Leave feedback about this