जैसे-जैसे दिल्ली में ठंड का मौसम करीब आ रहा है, वैसे-वैसे राजधानी की वायु गुणवत्ता काफी खराब होती जा रही है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है और स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी चिंता में हैं।
दिल्ली की हवा की खराब स्थिति को आंकड़ों से भी देखा जा सकता है। मंगलवार सुबह के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 201 रहा, जो खराब श्रेणी में आता है।
दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में एक्यूआई 200 से 300 के बीच था, जिसका मतलब है कि वायु गुणवत्ता का अधिक खराब होना, जिसकी वजह से शहर के कई हिस्सों में धुंध छाई हुई है और इससे विजिबिलिटी कम हो गई है। इंडिया गेट जैसे प्रतिष्ठित स्थल भी इस प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं, जहां धुंध के कारण साफ देखना मुश्किल हो रहा है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों की मानें तो यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है। सोमवार को राजधानी का एक्यूआई 189 था, जो मध्यम श्रेणी में आता है। इससे एक दिन पहले रविवार को एक्यूआई 167 था। लेकिन केंद्र सरकार की एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार, आने वाले दिनों में दिल्ली की हवा खराब श्रेणी में चली जाएगी। अगर ऐसा हुआ, तो यह जून के बाद पहली बार होगा जब दिल्ली का वायु गुणवत्ता का स्तर इतना गिर जाएगा।
बता दें कि 11 जून को दिल्ली का एक्यूआई 245 तक पहुंच गया था, जो अब की स्थिति के करीब है।
दिल्ली में 14 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में बनी रहेगी। आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति और प्रदूषण के स्रोतों के आधार पर इसके ‘बहुत खराब’ श्रेणी में भी जाने की संभावना है।
दिल्ली में सर्दियों में धुंध और प्रदूषण के बढ़ने की एक वजह यह भी है कि ठंडक के कारण हवा भारी हो जाती है और प्रदूषक कण जमीन के पास ही फंसे रहते हैं। एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स का मतलब होता है कि हवा में प्रदूषण कितना है और वह हमारे स्वास्थ्य पर कितना असर डाल सकता है।
भारत सरकार के मानकों के अनुसार, जब एक्यूआई 0 से 50 के बीच होता है तो हवा अच्छी मानी जाती है। 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’ श्रेणी रहती है, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’ यानी ठीक-ठाक, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी का प्रदूषण होता है।
पर्यावरण विशेषज्ञ लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाएं। जब बाहर निकलें तो मास्क पहनें, खासकर तब जब हवा की गुणवत्ता खराब हो। कोशिश करें कि सुबह और शाम के उन समय पर बाहर निकलना कम करें जब प्रदूषण अपने चरम पर होता है। बुजुर्ग, बच्चे और जो लोग सांस की बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
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