पुणे (महाराष्ट्र), 31 मई । पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी के रक्त के नमूने बदलने के आरोप में गिरफ्तार ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक चपरासी की पुणे की एक अदालत ने पुलिस कस्टडी पांच जून तक बढ़ा दी है।
यह फैसला पुणे की एक अदालत ने गुरुवार को दिया। 19 मई को पुणे में हुए पोर्श दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी।
आरोपी डॉक्टर अजय टावरे और श्रीहरि हलनोर तथा चपरासी अतुल घाटकांबले को राज्य सरकार ने बुधवार को निलंबित कर दिया था। गुरुवार को उन्हें उनकी पहली पुलिस रिमांड समाप्त होने के बाद अदालत में पेश किया गया था।
तीनों आरोपियों की हिरासत को बढ़ाने के लिए पुलिस की ओर से वकील ने दलील देते हुए कोर्ट को बताया कि नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को एक महिला के ब्लड सैंपल से बदल दिया गया था, ताकि यह साबित किया जा सके कि दुर्घटना के समय 17 वर्षीय लड़का नशे की हालत में नहीं था।
पुलिस ने कहा कि वे महिला की पहचान की जांच करना चाहते थे और उसके ब्लड सैंपल को लड़के के ब्लड सैंपल से मिलाना चाहते थे। इससे अदला-बदली और संबंधित पहलुओं का पता लगाया जा सकेगा।
पुलिस जांच में पता चला कि तीनों आरोपियों ने नाबालिग के ब्लड सैंपल को एक महिला के ब्लड सैंपल से बदल दिया था। इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस ने कहा कि हलनोर ने लड़के के ब्लड सैंपल को फेंका नहीं था, बल्कि उसे किसी और को सौंप दिया था। पुलिस अब मूल नमूने का पता लगाना और उसे बरामद करना चाहती है।
पुलिस ने अब तक इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। ससून जनरल अस्पताल के डीन को जांच चलने तक अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया है।
मामले में दो पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। नाबालिग लड़के की मां अब जांच की रडार पर है।
बता दें कि 19 मई को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही पोर्श कार की टक्कर में दो आईटी पेशेवर अश्विनी कोष्ठा और अनीश अवधिया की मौत हो गई थी। इससे देश भर में हंगामा मच गया था।
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