January 22, 2025
National

प्रशांत किशोर ने भाजपा की जीत के बताए 4 बड़े कारण, कहा, अन्य पार्टियों को संगठन बेहतर करना होगा

Prashant Kishore gave 4 big reasons for BJP’s victory, said, other parties will have to improve their organization.

पटना, 5 दिसंबर । चर्चित चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में से तीन राज्यों में भाजपा की जीत के चार बड़े कारण बताए हैं।

प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा को विरोधी दल हराना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले ये समझना होगा कि उनकी ताकत क्या है। जब तक आप उनकी ताकत को समझकर उससे बेहतर प्रयास नहीं करेंगे, तब तक लोग आपको वोट नहीं देंगे। भाजपा को जो वोट मिलता है, वो मोदी के ग्राफ के ऊपर-नीचे होने से नहीं मिलता है।

दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड में सोमवार को पत्रकार वार्ता में प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा को वोट मिलने के चार कारण हैं, जिसमें हिंदुत्व जो उनकी एक विचारधारा है, इससे जुड़ा हुआ एक बहुत बड़ा वर्ग भाजपा को इसलिए वोट करता है, क्योंकि उन्हें भाजपा के हिंदुत्व वाली विचाराधार पर यकीन है। उन्होंने न्यू राष्ट्रवाद को दूसरा कारण बताते हुए कहा कि जो गांव-देहात में लोग सुनते हैं कि भारत विश्वगुरु बन गया है, पूरे विश्व में भारत की शान मोदी ने बढ़ा दी है। इस राष्ट्रवाद की भावना की वजह से भी भाजपा को वोट मिलता है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि एक बहुत बड़ा वर्ग केंद्र की योजनाओं के लाभार्थियों का है, जिसमें किसान सम्मान योजना और आवास योजना की धनराशि सीधे केंद्र सरकार लाभार्थियों को भेज रही है।

उन्होंने चौथा कारण संगठन को बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा का अपना संगठन है, उसकी जो संगठनात्मक और आर्थिक ताकत है, उससे भी बहुत फर्क पड़ता है। भाजपा को हराने के लिए उससे बेहतर मॉडल आपके पास होना चाहिए। भाजपा के संगठन की जितनी ताकत है, उसके मुकाबले में अन्य पार्टियों का संगठन बेहतर होना चाहिए। जब तक इन चार में से तीन पर कम से कम आप बेहतर प्रयास नहीं करेंगे, तब तक आपको दस में से सात या आठ चुनावों में हार का सामना करना होगा। एक दो जगह जहां जीत ​हासिल हो भी जाती है, उसका कोई बहुत असर नहीं है।

उन्होंने कहा कि लोग केसीआर के खिलाफ वोट करना चाहते थे, वहां दल के रूप में कांग्रेस ही है, तो कांग्रेस को ही वोट दिया। ये इनकंबेंसी का वोट है।

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