January 21, 2025
National

प्रयागराज : मां ललिता देवी मंदिर में लड्डू-मिष्ठान की जगह चढ़ाए जाएंगे फल और सूखे मेवे

Prayagraj: Fruits and dry fruits will be offered instead of laddus and sweets in Maa Lalita Devi temple.

प्रयागराज, 26 सितंबर । तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद के बाद अब प्रयागराज में मां ललिता देवी मंदिर ने नवरात्रि के मौके पर प्रसाद चढ़ाने के नियमों में बदलाव का फैसला लिया है। मंदिर प्रबंधन ने यह तय किया है कि नवरात्रि से इस शक्तिपीठ में लड्डू और अन्य मिष्ठान प्रसाद के रूप में नहीं चढ़ाए जाएंगे। इसकी जगह नारियल, इलायची, दाना और फल चढ़ाया जााएगा।

मंदिर प्रबंधन की ओर से किए गए इस बदलाव का उद्देश्य प्रसाद की शुद्धता को बनाए रखना है। इस बदलाव के साथ मंदिर प्रबंधन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रसाद की दुकानों के मालिकों की रोजी-रोटी पर असर न पड़े। मंदिर प्रबंधन ने दुकानदारों को निर्देश दिए हैं कि वह अपनी दुकानों में उन्हीं प्रसादों की बिक्री करें, जो मंदिर में चढ़ाया जाएगा।

मंदिर के पुजारी शिव मूरत मिश्र ने बताया कि हमारे मंदिर प्रबंधन समिति की हाल ही में बैठक हुई थी। बैठक में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की घटना को देखते हुए निर्णय लिया गया कि मां भगवती के सामने भोग में सूखा मेवा, इलायची दाना, बतासा और नारियल का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा, हम सभी भक्तों और सनातन धर्मावलंबियों से अपील करते हैं कि वह समय-समय पर मिलावट को ध्यान में रखते हुए अपने घर के निकाले हुए घी का प्रयोग करें या फलों और सूखे मेवा का प्रयोग करें।

बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डूओं में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलाने की पुष्टि हुई थी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति मंदिर में जो लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया जाता है, उसमें जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला है। ये सब कुछ उस घी में मिला है, जिससे लड्डू तैयार किया जाता है।

बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डूओं में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलाने की पुष्टि हुई थी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के तहत सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड लैब की रिपोर्ट में हुए खुलासे में यह बात सामने आई है।

रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि तिरुपति मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में जानवरों के मांस की चर्बी और फिश ऑयल का इस्तेमाल किया गया। दावा किया गया है कि यह सब कुछ उस घी में इस्तेमाल किया गया है, जिसका उपयोग प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रसाद का इस्तेमाल न सिर्फ भगवान को चढ़ाने के लिए किया गया, बल्कि भक्तों के बीच भी इसे बड़े पैमाने पर बांटा गया।

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