नई दिल्ली, 13 फरवरी । अबूधाबी के जिस बीएपीएस हिंदू मंदिर का पीएम मोदी उद्धाटन करने वाले हैं वहां 11 फरवरी को विश्व संवादिता यज्ञ के लिए 980 से अधिक लोग एकत्र हुए। इसमें वैश्विक सद्भाव के लिए वैदिक प्रार्थना की गई। यह कार्यक्रम अबूधाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर के ऐतिहासिक उद्घाटन के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक विविधता में आध्यात्मिक एकता के उत्सव ‘हारमनी ऑफ़ फेस्टिवल’ का हिस्सा था।
प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में यज्ञ को परमात्मा के साथ से संलग्न होने के माध्यम के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें जीव-प्राणिमात्र के साथ प्रकृति के रक्षण और संवर्धन के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है। यह यज्ञ मध्य पूर्व देश में संपन्न अपनी तरह का पहला यज्ञ था।
इस यज्ञ में संयुक्त अरब अमीरात और दुनिया भर में शांति, सद्भाव और सभी की भलाई और सफलता के लिए प्रार्थना करने के लिए गणमान्य व्यक्तियों, आध्यात्मिक नेताओं और समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया।
इस प्राचीन अनुष्ठान पद्धति वाले यज्ञ को संपन्न करने के लिए भारत से सात विद्वान और विशेषज्ञ यज्ञवेत्ता पधारे थे।
इसके साथ ही अन्य यज्ञ-सेवकों की सेवा सराहनीय थी। वे प्रतिभागियों को विधियों और प्रार्थनाओं के माध्यम से यज्ञ में जोड़ते थे। यज्ञ के शुद्ध और सात्विक अनुष्ठानों से सभी के मन प्रफुल्लित थे। सभी प्रतिभागियों को यज्ञ लाभ प्रदान कराने के लिए 200 से अधिक स्वयंसेवकों ने समारोह का संचालन करने में मदद की थी।
महंतस्वामी महाराज के मार्गदर्शन में मंदिर परियोजना का नेतृत्व कर रहे स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने बताया, ‘इस प्रकार का यज्ञ भारत के बाहर शायद ही कभी होता है। यह अवसर मंदिर के वैश्विक एकता के संदेश को प्रतिध्वनित करता है। एकता एक ऐसा मूल्य है, जिसके प्रवर्तन के लिए परम पूज्य महंतस्वामी महाराज सदा कटिबद्ध हैं। इस यज्ञ का प्रात:कालीन वातावरण शांति और सह-अस्तित्व जगा गया, वह भावी पीढ़ियों के लिए आशा की किरण है जिसे मंदिर और भी सुदृढ करेगा।’
यज्ञ की शुभ ज्योति अंधकार को दूर करने और आध्यात्मिक ज्ञान के उद्भव का प्रतीक थी। बारिश होने के आसार के बीच यह एक अद्भुत दृश्य था, जिसमें प्रकृति के सभी पांच तत्त्व एक साथ मिलते दिख रहे थे। आर्द्र मौसम के बावजूद, प्रतिभागियों की खुशी कम नहीं हुई।
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लंदन से आए 70 वर्षीय भक्त जयश्री ईनामदार ने अपने भावों को साझा किया, ‘बारिश ने ऐतिहासिक कार्यक्रम को और अधिक यादगार और आनंददायक बना दिया। मैंने अपने जीवनकाल में कभी भी बारिश में कोई यज्ञ होते नहीं देखा! यह विशेष रूप से आनंदप्रद और यादगार लगा।
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