March 26, 2025
Uttar Pradesh

अयोध्या राम मंदिर के परकोटे और गर्भगृह में प्रतिमाओं की स्थापना के लिए तैयारियां तेज, ज्योतिषाचार्यों ने बताया शुभ मुहूर्त

Preparations are in full swing for the installation of idols in the ramparts and sanctum sanctorum of Ayodhya Ram Mandir, astrologers told the auspicious time

अयोध्या, 20 मार्च । राम मंदिर के निर्माण कार्य में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। राम मंदिर के द्वितीय तल के गर्भगृह के साथ-साथ मंदिर के परकोटे में स्थापित होने वाली प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तैयारियां तेज हो गई हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर राम नगरी के चार प्रमुख ज्योतिषाचार्यों के पैनल ने शुभ मुहूर्त का निर्धारण किया है।

राम नगरी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सर्व सिद्धि शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस संबंध में दो ज्योतिषाचार्यों ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को बताया कि इस बार के लिए गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया जैसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण हैं। जानकारों के मुताबिक, अक्षय तृतीया के दिन प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी, जबकि गंगा दशहरा के दिन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि अयोध्या के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत भी करेगा। अयोध्या के ज्योतिषाचार्यों ने ट्रस्ट को यह भी बताया कि गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया दोनों ही तिथियां पवित्र और शुभ मानी जाती हैं, और इन दोनों अवसरों पर विशेष धार्मिक क्रियाएं संपन्न होंगी।

अयोध्या धाम के ज्योतिषाचार्य प्रवीण शर्मा ने बताया कि मूर्ति स्थापना के लिए हमें कुछ विचार करने की आवश्यकता नहीं है। हां, उनकी प्राण प्रतिष्ठा के दिन जो लग्न की स्थिति होगी, उसे हम स्पष्ट करके ट्रस्ट को शास्त्रीय आज्ञा के अनुसार परामर्श उपलब्ध करा देंगे। अभी परामर्श के लिए अयोध्या से चार लोगों को कहा गया था, लेकिन दो लोग बाहर होने के कारण केवल मैं और आचार्य राकेश तिवारी वहां उपस्थित थे। हमसे जो परामर्श मांगा गया, वह हमने दे दिया है। आगे भी ट्रस्ट की जो सेवा होगी और परामर्श मांगा जाएगा, वह हम देते रहेंगे। लेकिन मैं पुनः स्पष्ट करना चाहता हूं कि ट्रस्ट से जुड़े विद्वान लोग हैं, यहां तक कि स्वयं चंपत जी को भी पर्याप्त ज्ञान है, वह एक विद्वान व्यक्ति हैं। फिर भी, अयोध्या की परंपरा रही है कि ब्राह्मणों और अपने आचार्यों से राय लेना और उसी परंपरा के तहत हमसे राय मांगी गई थी।

उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त हैं। इसके बारे में कोई संशय नहीं है। पिछले वर्ष वाराणसी से आए मुहूर्त पर कुछ विद्वानों और शंकराचार्य भगवान ने प्रश्न उठाए थे, लेकिन ये ऐसे मुहूर्त हैं जिन पर सनातन परंपरा का कोई व्यक्ति प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। इसलिए हमने सर्वोच्च मुहूर्तों का परामर्श लिया, जिस पर निर्णय ट्रस्ट लेगा। हमारा परामर्श था कि अक्षय तृतीया के दिन से मूर्ति स्थापना शुरू की जाए और प्रतिमाएं अपने स्थान पर स्थापित कर दी जाएं। चूंकि प्राण प्रतिष्ठा एक लंबा कार्यक्रम है, जो कई दिनों तक चलता है, इसे गंगा दशहरा तक ले जाकर कर्मकांड के लोग सुचारू रूप से पूरा कर सकें। गंगा दशहरा को प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य दिवस मनाने का परामर्श भी अयोध्या के ज्योतिषियों का था।

उन्होंने आगे कहा कि अक्षय तृतीया का पूरा दिन मूर्ति स्थापना के लिए उपयुक्त है, इसमें कोई निषेध या रोक नहीं है। हां, मुहूर्तों के विषय में शास्त्रों में निर्देश है कि अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रतिमाएं अलग-अलग लग्नों में स्थापित की जाती हैं। जैसे, जिस लग्न में गणेश जी की मूर्ति स्थापित होगी, उसमें सूर्य या विष्णु की नहीं होगी, देवी की अलग होगी। इसके लिए हम एक सूची ट्रस्ट को उपलब्ध करा देंगे कि कौन से लग्न में किन-किन देवताओं की स्थापना होनी चाहिए। यह ज्योतिष का विषय है, हम केवल समय उपलब्ध कराएंगे, कर्मकांड से जुड़े लोग आगे की प्रक्रिया को पूरा करेंगे। अभी तक हमें स्थापित होने वाले देवताओं की अंतिम सूची नहीं मिली है। लेकिन जो श्रेणियां हैं, उनके आधार पर मुहूर्त के संदर्भ में परामर्श दिया गया है। हम समय उपलब्ध करा देंगे। यह प्रक्रिया अक्षय तृतीया से शुरू होगी।

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