January 20, 2025
National

उत्तराखंड में मानसून से पहले आपदा से निपटने की तैयारियां पूरी

Preparations to deal with disaster completed before monsoon in Uttarakhand

देहरादून, 26 जून । उत्तराखंड में मानसून सीजन से पहले राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग बड़ी ड्रिल आयोजित करने जा रहा है। राज्य के सभी बांध और बड़ी जल धारण क्षमता वाले 24 स्थलों की आपात स्थिति की जांच करने के लिए 6 जुलाई को मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।

आपदा प्रबंधन के सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि मॉक ड्रिल मैदानी इलाकों में नाले की सफाई से लेकर पहाड़ पर बने बड़े डैम में आयोजित की जाएगी। मॉक ड्रिल में देखा जाएगा कि सेंसर और सायरन सही से काम कर रहे हैं या नहीं। ध्यान दिया जाएगा कि बांध परियोजनाओं की एसओपी आपातकालीन स्थिति में कितनी उपयोगी होती है।

उन्होंने बताया कि कई स्तरों पर तैयारियां हो चुकी हैं। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ भी तैयारियों की समीक्षा की गई है। लैंडस्लाइड और नदियों में बाढ़ की स्थिति को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं। पीडब्ल्यूडी और मशीनों को तैनात किया जा रहा है। जीपीएस के जरिए जेसीबी के कार्य की निगरानी की जाएगी। सात जगहों पर एनडीआरएफ और 39 जगहों पर एसडीआरएफ तैनात हैं। सारे डैम अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, सेंसर, सायरन स्थापित कर लिए गए हैं। उत्तराखंड में पहली बार ऑटोमेटिक सिस्टम लगाया गया। उसका वीपीआई इंटीग्रेशन देहरादून सेंटर में भी होगा।

उन्होंने कहा कि धौलीगंगा बांध परियोजना के प्रतिनिधियों से धारचूला में 360 डिग्री के पांच किलोमीटर तक की रेंज वाला सायरन लगाने के निर्देश दिए हैं। यूपी इरिगेशन के नियंत्रणाधीन बांध और बैराजों में अर्ली वार्निंग सिस्टम नहीं लगाने पर सचिव ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

बैठक में टीएचडीसी के एजीएम एके सिंह ने बताया कि गाद जमा होने के कारण टिहरी बांध की जल भंडारण क्षमता 115 मिलियन घन मीटर तक घट गई है। यह पहले 2,615 मिलियन घन मीटर थी और वर्तमान में 2,500 मिलियन घन मीटर पर आ गई है।

उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी ग्लेशियरों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है, इसलिए इनका अध्ययन भी जरूरी है। ग्लेशियर झीलों के अध्ययन के लिए जल्द एक दल जा रहा है।

यूजेवीएनएल के अधिशासी निदेशक पंकज कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सेटेलाइट फोन खरीद लिए गए हैं।

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