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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अभिभाषण में किया आपातकाल का जिक्र, कांग्रेस ने उठाया सवाल तो भाजपा ने बताया जरूरी

President Draupadi Murmu mentioned emergency in his address, Congress raised questions and BJP said it was necessary.

नई दिल्ली, 27 जून राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए देश में 50 साल पहले लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया। जिस पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि 50 साल पुरानी बात पर अब चर्चा होने से क्या फायदा है। वहीं, भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने आपातकाल पर चर्चा को जरूरी बताया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “आज 27 जून है। 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था। लेकिन, ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाया क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं। मेरी सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। अब भारत के उस भूभाग, हमारे जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां आर्टिकल-370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं।”

राष्ट्रपति ने जब 1975 में लगाए गए आपातकाल का जिक्र करना शुरू किया तो कांग्रेस सांसदों ने संयुक्त बैठक में ही नारेबाजी शुरू कर दी। बाद में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि कई मुद्दों को उठाना चाहिए, उस पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन, जहां तक आपातकाल की बात है, यह 50 साल पुरानी बात है, इस पर अब चर्चा करने या बोलने से क्या फायदा है। बल्कि, आज तो बेरोजगारी और लोगों की अन्य समस्याओं पर चर्चा की जरूरत है।

कांग्रेस के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा सांसद अरुण गोविल ने कहा कि आखिर इस पुराने मुद्दे को क्यों नहीं उठाना चाहिए। आपातकाल एक ऐसा धब्बा है, जो कभी मिट नहीं सकता है। कांग्रेस आज संविधान की बात करती है। उसी संविधान को आपातकाल लगाकर कांग्रेस ने बिगाड़ा था और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री एवं रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी आपातकाल के जिक्र को सही ठहराते हुए कहा कि भारत का संविधान सिर्फ एक डॉक्यूमेंट नहीं है, बल्कि यह लोगों का डॉक्यूमेंट है। आज देश में हमारी संवैधानिक संस्थाएं मजबूत हैं और लोगों को इन पर पूरा भरोसा और गर्व है। चुनाव आयोग ने चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, आम लोगों ने और खासकर महिलाओं ने बड़ी संख्या में बाहर निकलकर अपने भविष्य के लिए वोट किया है और देश में आज पूर्ण और ऐतिहासिक बहुमत वाली सरकार है।

-म

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