N1Live National राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलागिरी में एम्स के पहले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया, डॉक्टरों को दी जरूरी सलाह
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलागिरी में एम्स के पहले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया, डॉक्टरों को दी जरूरी सलाह

President Draupadi Murmu participated in the first convocation of AIIMS in Mangalagiri, gave important advice to doctors

मंगलगिरी, 17 दिसंबर । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश के मंगलगिरी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पहले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया।

इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी उच्च शैक्षणिक संस्थान का प्रारंभिक बैच उस संस्थान की पहचान बनाता है। राष्ट्रपति ने एमबीबीएस के पहले बैच के स्नातकों से कहा कि वे चिकित्सा जगत, समाज, देश और विदेशों में एम्स मंगलगिरी के पहले ब्रांड एंबेसडर हैं।

राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से कहा कि चिकित्सा पेशा (मेडिकल प्रोफेशन) का चयन कर उन्होंने मानवता की सेवा का रास्ता चुना है। उन्होंने डॉक्टरों को सफल होने और सम्मान हासिल करने के लिए तीन सामान्य बातों- सेवा, ज्ञानार्जन और अनुसंधान अभिविन्यासों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रसिद्धि और धन के बीच चयन करना पड़े तो उन्हें प्रसिद्धि को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारतीय डॉक्टरों ने अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत से दुनिया के विकसित देशों में अग्रणी मुकाम हासिल किया है। दूसरे देशों से लोग बेहतर चिकित्सा के लिए भारत आते हैं। भारत ग्लोबल पटल पर सस्ते चिकित्सा पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है और डॉक्टरों की इसमें प्रमुख भूमिका रही है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी परंपरा में दीर्घायु, रोग मुक्त और स्वस्थ रहने की प्रार्थना की जाती है। जीवन और स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मंगलगिरी एम्स का आदर्श वाक्य सकल स्वास्थ्य सर्वदा समग्र स्वास्थ्य सेवा और सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा के आदर्शों से प्रेरित है। समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना इस संस्थान के प्रत्येक चिकित्सा पेशेवरों का मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान को बदलते समय और परिस्थितियों के अनुसार नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। और इसके लिए नए समाधानों की जरूरत होती है। मंगलगिरी स्थित एम्स की साइटोजेनेटिक्स (ऊतक, रक्त, रक्त मज्जा, या संवर्धन कोशिका) प्रयोगशाला इसी दिशा में किया गया प्रयास है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह संस्थान इस प्रयोगशाला के उपयोग से नए अनुसंधान और उपचार विकसित करेगा।

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