गुरुग्राम, 22 अगस्त राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज चौथी औद्योगिक क्रांति द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का समाधान करने और अवसरों का लाभ उठाने में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
वह फरीदाबाद में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाई.एम.सी.ए. के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। इसकी अध्यक्षता हरियाणा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने की। इस अवसर पर कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर भी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने राज्यपाल की उपस्थिति में 13 पीएचडी उपाधियां प्रदान कीं और छात्रों को दो पदक और प्रमाण-पत्र प्रदान किए।
मुर्मू ने चौथी औद्योगिक क्रांति में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर जोर दिया और कहा कि विश्वविद्यालय अनुसंधान और जांच में अग्रणी होकर दूसरों के लिए एक उदाहरण स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) अनुसंधान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, जिसमें समग्र शिक्षा, स्नातक पाठ्यक्रमों में अनुसंधान और इंटर्नशिप को शामिल करने पर जोर दिया गया है, इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की गई है।
राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि शैक्षणिक संस्थानों को पूर्व छात्र संघ की भूमिका को मजबूत बनाने और उसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस को आधुनिक विज्ञान का अग्रदूत और प्रौद्योगिकी के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने के लिए छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
2023 में अपनी डिग्री पूरी करने वाले कुल 1,536 छात्रों और शोधकर्ताओं को डिग्री प्रदान की गई, जिनमें 998 स्नातक, 525 स्नातकोत्तर और 13 पीएचडी शामिल हैं। प्राप्तकर्ताओं में 874 लड़के और 662 लड़कियाँ थीं।
दो मेधावी छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए: इशिता जुनेजा को बी.टेक. में समग्र टॉपर के रूप में 75,000 रुपये का राज्यपाल-कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्रदान किया गया तथा काजल शर्मा को बी.टेक. में समग्र टॉपर के रूप में 65,000 रुपये का मुख्यमंत्री स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में राज्यपाल दत्तात्रेय ने दीक्षांत समारोह में महिला शोधकर्ताओं की महत्वपूर्ण भागीदारी की सराहना की और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी बढ़ती उपस्थिति और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक तकनीकी परिदृश्य पर देश की स्थिति को ऊपर उठाने में प्रौद्योगिकी स्नातकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने विशिष्ट अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने पिछले वर्षों में विश्वविद्यालय की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और विभिन्न गुणवत्ता मापदंडों पर इसके सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड पर जोर दिया। प्रो. तोमर ने कहा कि विश्वविद्यालय ने 60 से अधिक विविध पाठ्यक्रम पेश किए हैं, जो व्यापक शिक्षा के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जो शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से प्रभावी होगी।