February 25, 2025
Uttar Pradesh

ऐसे पुजारी जो कभी भी कर सकते थे रामलला की पूजा, जानें आचार्य सत्येंद्र दास से जुड़े अनसुने किस्से

Priests who could worship Ramlala anytime, know unheard stories related to Acharya Satyendra Das

अयोध्या/लखनऊ, 13 फरवरी । रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (87) का बुधवार सुबह लखनऊ स्थित पीजीआई में निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही राजनीतिक गलियारों और साधु-संतों में शोक की लहर दौड़ गई।

आचार्य सत्येंद्र दास अयोध्या में विवादित ढांचे के ध्वस्त होने से लेकर भव्य मंदिर के निर्माण तक के साक्षी रहे। वह 1993 से रामलला की सेवा में लगे हुए थे। उन्होंने टेंट से लेकर भव्य मंदिर में विराजमान होने तक रामलला की सेवा की। 1992 में जब उन्हें रामलला का पुजारी बनाया गया तो उस वक्त उन्हें 100 रुपये वेतन मिलता था। वह पिछले 34 साल से रामलला की सेवा में लगे थे। आचार्य सत्येंद्र दास अध्यापक की नौकरी छोड़कर पुजारी बने थे। उन्होंने 1975 में संस्कृत में आचार्य की डिग्री ली और फिर अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर नौकरी शुरू की। इसके बाद मार्च 1992 में रिसीवर की तरफ से उन्हें पुजारी नियुक्त किया गया।

आचार्य सत्येंद्र दास टेंट से लेकर रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साक्षी बने। हालांकि उन्होंने रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद कार्यमुक्त करने का निवेदन भी किया, लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से इनकार कर दिया गया और कहा गया कि वह मुख्य पुजारी बने रहेंगे। साथ ही वह जब चाहे मंदिर में रामलला की पूजा कर सकते हैं। उनके लिए कोई शर्त या बाध्यता नहीं रहेगी।

सत्येंद्र दास संतकबीर नगर के एक ब्राह्मण परिवार से थे। 50 के दशक के शुरू में अयोध्या आए और अभिरामदास के शिष्य बने। अभिराम दास वही हैं, जिन्होंने 1949 में मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित की थी। आचार्य सत्येंद्र दास, राम विलास वेदांती और हनुमान गढ़ी के संत धर्मदास तीनों गुरुभाई हैं।

श्रीराम जन्मभूमि मंद‍िर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के साकेतवास के बाद ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन प्रातः सात बजे के लगभग उन्होंने पीजीआई में अंतिम सांस ली। वह वर्ष 1993 से श्री रामलला की सेवा पूजा कर रहे थे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय और मंदिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के‌ देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।

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