महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य और शिवसेना (यूबीटी) की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने मंगलवार को राज्यसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर ‘जय हिंद और वंदे मातरम’ नारेबाजी पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह रोक सांसदों के बीच गंभीर असंतोष और चिंता का कारण बनी है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने पत्र में कहा, “हमारे देश की आत्मा और भावनाओं का हिस्सा होने के कारण ऐसे अभिव्यक्ति के माध्यम पर प्रतिबंध अत्यंत चिंताजनक है। मैं अनुरोध करती हूं कि इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए और सांसदों और जनता से उचित माफी मांगी जाए।”
उन्होंने कहा कि ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ न केवल राष्ट्रीय भावनाओं के प्रतीक हैं, बल्कि लोकतांत्रिक ढांचे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा भी हैं। चतुर्वेदी ने राज्यसभा अध्यक्ष से इस पर गंभीरता से विचार करने और संसद के पारंपरिक और भावनात्मक मूल्यों का सम्मान करने का अनुरोध किया।
प्रियंका चतुर्वेदी के इस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि उन्होंने इसे राज्यसभा सचिवालय के माध्यम से प्रस्तुत किया है ताकि नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अध्यक्ष तक यह संदेश पहुंच सके।
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि संसद में नारेबाजी पर रोक सांसदों की लोकप्रिय और भावनात्मक अभिव्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सांसदों का यह अधिकार है कि वे अपनी देशभक्ति और राष्ट्रीय गर्व को एक सम्मान और गरिमा के साथ व्यक्त कर सकें।
राज्यसभा में इस प्रतिबंध के बाद कई सांसदों और राजनीतिक नेताओं ने भी चिंता और असंतोष जताया है। प्रियंका चतुर्वेदी के पत्र के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्यसभा अध्यक्ष इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
राज्यसभा बुलेटिन में सांसदों को शिष्टाचार और परंपरा का हवाला देते हुए ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारे नहीं लगाने की सलाह दी गई थी।


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