N1Live Punjab पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की समस्याओं का होगा समाधान, सुप्रीम कोर्ट ने किया पैनल का गठन
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पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की समस्याओं का होगा समाधान, सुप्रीम कोर्ट ने किया पैनल का गठन

Problems of farmers protesting on Punjab-Haryana border will be solved, Supreme Court formed panel

नई दिल्ली, 2 सितंबर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की शिकायतों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया।

इस मामले में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अध्यक्षता वाले पैनल को सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वह आम जनता की सुविधा के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग से ट्रैक्टर, ट्रॉलियां आदि हटाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करें।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां भी शामिल थे। उन्होंने किसानों को अपने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को किसी वैकल्पिक स्थल पर स्थानांतरित करने की बात की।

सर्वोच्च न्यायालय ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी पहली बैठक बुलाने को कहा गया है। बैठक में न्यायमूर्ति नवाब सिंह के अलावा, पैनल में हरियाणा के पूर्व डीजीपी और सेवानिवृत्त आईपीएस बीएस संधू, कृषि विश्लेषक देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर रणजीत सिंह घुमन, कृषि अर्थशास्त्री डॉ सुखपाल सिंह और प्रोफेसर बलदेव राज कंबोज शामिल होंगे।

इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि इस विरोध प्रदर्शन का राजनीतिकरण नहीं हो, इसके साथ ही किसानों से उन मांगों पर जोर न देने को कहा गया जो उचित नहीं हैं।

सर्वोच्च न्यायालय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा शंभू सीमा पर बैरिकेड्स हटाने के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

इससे पहले की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने हरियाणा और पंजाब से उन शर्तों के बारे में सुझाव देने को कहा था, जिन पर विशेषज्ञ पैनल को विचार करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने आंदोलनकारी किसानों तक पहुंचने के लिए एक स्वतंत्र समिति के गठन पर विचार किया, ताकि मुद्दों का कुछ व्यवहारिक समाधान ढूंढा जा सके।

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों से किसानों तक पहुंचने के लिए कुछ कदम उठाने को कहा था और एक तटस्थ प्रतिनिधि भेजने का सुझाव दिया था। हितधारकों के बीच विश्वास की कमी को देखते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने उन व्यक्तियों के नामों के लिए सुझाव मांगे थे, जिन्हें विशेषज्ञ पैनल में शामिल किया जा सकता है।

बता दें कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को एक सप्ताह के भीतर पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा को खोलने का निर्देश दिया था।

अपने आदेश में न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति विकास बहल की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि राजमार्ग को उसके मूल स्वरूप के अनुसार बहाल किया जाए तथा जनता की सुविधा के लिए इसे पूरी तरह से खोल दिया जाए।

उच्च न्यायालय ने सभी किसान यूनियनों से कानून और व्यवस्था बनाए रखने की बात कहते हुए यह आदेश दिया था। आदेश में कहा गया, “पंजाब राज्य यह भी सुनिश्चित करेगा कि उनके क्षेत्र में एकत्र प्रदर्शनकारियों को भी आवश्यकतानुसार नियंत्रित किया जाए।”

न्यायालय ने कहा कि अवरोध से बचने के लिए जो मार्ग परिवर्तन किया गया है, उससे आम जनता को भारी असुविधा हो रही है। यह निर्णय यातायात में व्यवधान तथा दैनिक यात्रियों और माल परिवहन पर इसके प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच बैरिकेडिंग के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया है।

प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा में प्रवेश से रोकने के लिए अंतरराज्यीय सीमा को सील कर दिया गया है।

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