N1Live National पेड़ों की गैरकानूनी कटाई के लिए डीडीए के छोटे कर्मचारियों की परेशानी बढ़ेगी : सौरभ भारद्वाज
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पेड़ों की गैरकानूनी कटाई के लिए डीडीए के छोटे कर्मचारियों की परेशानी बढ़ेगी : सौरभ भारद्वाज

Problems of small employees of DDA will increase due to illegal cutting of trees: Saurabh Bhardwaj

नई दिल्ली, 26 जून। दिल्ली के सतबड़ी वन्य क्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से काटे गए 1,100 पेड़ों के संबंध में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र शासित डीडीए की ओर से बड़े-बड़े वकील पेश हुए। दो दिन का समय देने के पश्चात भी डीडीए के वकील सुप्रीम कोर्ट में लगातार झूठ बोलते रहे कि अभी तक हमें इस बात की जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है कि इन 1,100 पेड़ों को काटने का निर्देश किसने दिया और उपराज्यपाल किस जगह निरीक्षण करने गए थे।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह सरासर झूठ है। डीडीए के पास इस बात का पूरा ब्योरा है कि तीन फरवरी को एलजी सतबड़ी वन्य क्षेत्र में ही दौरा करने गए थे। उपराज्यपाल के मौखिक निर्देश पर ही इन वृक्षों (पेड़ों) को काटा गया है। यह बेहद चिंता की बात है कि आज डीडीए विभाग के अधिकारी इतने डरे हुए हैं कि खुद की लिखी ईमेल को वह सुप्रीम कोर्ट में पहचानने से इनकार कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि हमें नहीं मालूम कि यह ईमेल किसने लिखी है।

उन्होंने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से दबाव दिया गया तो डीडीए के वकील ने इस बात को स्वीकार किया कि 3 फरवरी को डीडीए के प्रमुख अभियंता (इंजीनियरिंग इन चीफ) उपराज्यपाल के साथ वहां दौरे पर मौजूद थे। इस बात से साबित हो जाता है कि उपराज्यपाल ही 3 फरवरी को दौरा करने गए थे। जब सभी बातें डीडीए के रिकॉर्ड में मौजूद हैं तो आखिर डीडीए के अधिकारियों को उपराज्यपाल का ऐसा क्या डर है कि वह कोर्ट में इस बात को स्वीकार करने में डर रहे हैं?

उन्होंने आगे कहा कि बीते दो साल से हम लगातार यह देखते आ रहे हैं कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना बिना किसी जवाबदेही के असीमित शक्तियों का उपयोग करते आ रहे हैं। मैं हैरान हूं कि आखिर केंद्र सरकार कैसे एक उपराज्यपाल को बिना जवाबदेही तय किए असीमित शक्तियों का उपयोग करने की अनुमति दे सकती है। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल की जवाबदेही पर बात की है। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। सुप्रीम कोर्ट ने वही बात दोहराई, जो मैं पिछले कई दिनों से कह रहा हूं कि इस तरह से बिना अनुमति के वृक्षों को काटना कानूनन अपराध है और इसके लिए दोषी व्यक्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैं अब दिल्ली के उपराज्यपाल से जानना चाहता हूं कि क्या वह साहस दिखाएंगे और कोर्ट में आकर इस बात को स्वीकार करेंगे कि मैंने ही 1100 पेड़ों को गैर कानूनी तरीके से काटने के मौखिक निर्देश दिए थे, जो कार्रवाई करनी है, मुझ पर की जाए। या फिर उपराज्यपाल और केंद्र शासित डीडीए मिलकर छोटे-छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाएंगे।

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