शिरोमणि अकाली दल (सुधार) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने आज एक बयान जारी कर सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब में अधिकार और आस्था को खत्म करने के कथित प्रयासों की निंदा की।
मीडिया को संबोधित करते हुए चंदूमाजरा ने कहा कि पंज सिंह साहिबान द्वारा हाल ही में घोषित निर्णयों से राजनीतिक हस्तक्षेप उजागर हुआ है जिसका उद्देश्य शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के पक्ष में परिणामों को प्रभावित करना है।
उन्होंने दावा किया कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार पर भारी दबाव के बावजूद जत्थेदार ने इन बाहरी ताकतों के आगे घुटने नहीं टेके तथा संस्था की पवित्रता को बनाए रखा।
चंदूमाजरा ने कहा, “इस तरह के राजनीतिक दबाव के उजागर होने से पंथ के भीतर अशांति पैदा हो गई है।” उन्होंने कहा कि ये प्रयास सिख संस्थाओं को बदनाम करने और कमजोर करने की एक व्यापक योजना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ व्यक्तिगत सिंह साहिबों पर हमला नहीं है, बल्कि सिख समुदाय की सर्वोच्च संस्था की विश्वसनीयता पर एक सोचा-समझा हमला है।”
चंदूमाजरा ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्यों द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब की स्वतंत्र सत्ता को संरक्षित करने के लिए कानून बनाने के प्रस्ताव पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रस्ताव को अस्वीकार करना, व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए संस्था में हेरफेर करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।
पूर्व सांसद ने अपनी संस्थाओं की गरिमा की रक्षा के लिए सिख समुदाय के बीच एकता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “श्री अकाल तख्त साहिब की अखंडता से समझौता करने के प्रयास कभी सफल नहीं होंगे।”
चंदूमाजरा की टिप्पणी सिख राजनीतिक और धार्मिक हलकों में बढ़ते तनाव को दर्शाती है, क्योंकि नेता और गुट राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों के बीच धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।