न्यूरोसर्जरी के दिग्गज प्रोफेसर विजय कुमार काक का गुरुवार को निधन हो गया।
15 अक्टूबर 1938 को जन्मे काक ने अपनी मेडिकल की पढ़ाई आगरा में की और 1969 में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में दाखिला लिया।
प्रोफेसर डीआर गुलाटी के साथ मिलकर उन्होंने यहां सुपर स्पेशियलिटी विभाग को दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ विभागों में से एक बनाया। मरीजों की देखभाल में, विजय ने वह सब कुछ किया जो संभव था: हाइपोथर्मिया के तहत सर्जिकल तकनीक, हाइपोटेंशन एनेस्थीसिया, ट्रांस स्फेनोइडल पिट्यूटरी और ट्रांसथोरेसिक स्पाइनल सर्जरी; मरीजों के लिए नवीनतम और उन्नत जांच लाना।
शिक्षण में उनकी भागीदारी और धीरज अत्यधिक प्रभावी थे। देश के लगभग सभी न्यूरोसर्जन को उनसे मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिला है।
उनके अकादमिक दिमाग ने शोध में उत्कृष्टता लाई। उन्होंने 400 से अधिक वैज्ञानिक लेख और पुस्तकों में कई अध्याय लिखे हैं।
विजय अपनी विकलांगता (बचपन से ही पोलियो से पीड़ित) के बावजूद बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति थे। उन्होंने टेबल टेनिस और शतरंज में बेहतरीन खेल कौशल का प्रदर्शन किया।
न्यूरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के मानद सचिव और राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन सोसायटी फॉर सेरेब्रोवैस्कुलर सर्जरी और इंडियन सोसायटी फॉर पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी के अध्यक्ष के रूप में उनकी संगठनात्मक कौशल स्पष्ट थे।
वह चंडीगढ़ प्रशासन के महानिदेशक और स्वास्थ्य सचिव भी रहे।