पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को पंजाब राज्य को निर्देश दिया कि वह उसके समक्ष वह ‘‘आधारभूत सामग्री’’ पेश करे जिसके आधार पर अमृतपाल सिंह की पैरोल याचिका खारिज करने का आदेश पारित किया गया था। यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को पंजाब राज्य द्वारा यह बताए जाने के बाद आया कि “राष्ट्रीय अस्तित्व और राष्ट्रीय रक्षा का मामला है” और अमृतपाल सिंह बोलने के लिए स्वतंत्र होंगे।
यह दलील राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने अमृतपाल सिंह के वरिष्ठ वकील आरएस बैंस के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संसदीय कार्यवाही में भाग लेने के सुझाव के जवाब में दी। अध्यक्ष की ओर से पेश हुए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संसद सत्र में भाग लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
अदालती प्रश्न के उत्तर में, बैंस ने माना कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन उन्होंने अदालतों का उदाहरण दिया। उन्होंने तर्क दिया कि परिस्थितियों ने ऐसे प्रावधानों का मार्ग प्रशस्त किया। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद है।


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