कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने पंजाब विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान पार्टी विधायकों के वॉकआउट को सही ठहराते हुए राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार पर किसानों की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया है।
खैरा ने कहा कि उनका बहिष्कार दो बड़े मुद्दों पर आधारित है। पहला, मुख्यमंत्री भगवंत मान का किसानों के साथ धोखा और दूसरा, एक सेवारत सेना अधिकारी और उनके बेटे पर पुलिस की बर्बरता। खैरा ने इन मुद्दों को पंजाब के लिए ज्वलंत बताया।
उन्होंने कहा, “भगवंत मान ने किसान नेताओं को घर बुलाकर उनकी पीठ में छुरा घोंपा है। उन्हें गिरफ्तार किया और उनके टेंट को बुलडोजर से तोड़ दिया। यह मुद्दा इतना अहम है कि राज्यपाल का अभिभाषण भी इसके लिए टाला जा सकता है।”
उन्होंने दूसरा मामला कर्नल पुष्पेंद्र सिंह और उनके बेटे का उठाया, जिन्हें नशे में धुत चार पुलिसवालों ने पीटा।
खैरा ने बताया, “आठ दिन बीत गए, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। ढाबा मालिक की शिकायत पर अज्ञात पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज है, लेकिन कार्रवाई शून्य है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब अब पुलिस राज्य बन गया है। भगवंत मान ने “योगी सरकार का मॉडल” यहां लागू कर दिया। बुलडोजर पॉलिटिक्स से लोकतंत्र को कुचला जा रहा है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार छीना जा रहा है और पुलिस को संरक्षण दिया जा रहा है।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि सात दिन का सत्र असल में सिर्फ तीन दिन का है और विपक्ष को बोलने का मौका नहीं मिलता। “स्पीकर, कैमरा, माइक सब उनके पास हैं। ऐसे में बहिष्कार के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है।”
किसानों के साथ धोखे के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “पिछली बार बैठक के बीच में गोली चलवाई गई। इस बार बुलाकर गिरफ्तार कर लिया। यह धोखा है। कोई किसान अब मान से बात नहीं करेगा।”
उन्होंने ‘आप’ पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद घर तोड़े गए। किसानों के आंदोलन को कुचला गया। ये लोग काले कानून थोप सकते हैं।
खैरा ने कहा कि पंजाब ने उग्रवाद के दौरान बहुत सहा है और अब टाडा, एनएसए जैसे कानूनों की जरूरत नहीं। बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान अपराधियों को सजा देने के लिए काफी है।
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