लुधियाना (पंजाब), 14 जुलाई, 2025: हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज लुधियाना के बाहरी इलाके के विभिन्न गांवों से किसानों की सहमति के बिना और उन्हें कोई मुआवजा दिए बिना 50,000 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने के पंजाब सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ बड़े पैमाने पर धरना दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वारिंग के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ग्रेटर लुधियाना विकास प्राधिकरण (ग्लाडा) के मुख्य प्रशासक के कार्यालय के सामने धरना दिया और भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ राज्य भर से वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए।
उन्होंने ग्लाडा प्रशासक के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा।
धरने को संबोधित करते हुए पीसीसी अध्यक्ष ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी सरकार का तानाशाही, निरंकुश और तानाशाहीपूर्ण फैसला है, जिसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भूमि अधिग्रहण नहीं, बल्कि आप नेताओं की भूमि लूट की नीति है।’’
उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल अभूतपूर्व और अनसुना है कि सरकार ने न तो उन लोगों की सहमति ली है जिनसे वह ज़मीन अधिग्रहण कर रही है और न ही कोई मुआवज़ा दे रही है। उन्होंने कहा, “हर एकड़ के बदले सरकार आपको 1000 वर्ग गज वापस करेगी,” और इस बात पर ज़ोर दिया, “इसका मतलब है कि वे आपसे 100 रुपये लेंगे और आपको सिर्फ़ 25 रुपये लौटाएँगे।”
वारिंग ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को याद दिलाया कि एक किसान का बेटा होने के नाते उन्हें किसानों के प्रति अधिक सहानुभूति रखनी चाहिए, बजाय दिल्ली के अपने अन्य साथियों के जो ‘‘भूमि लूटने’’ के विचार को आगे बढ़ा रहे हैं।
“लेकिन मैं आपको स्पष्ट कर दूँ कि पंजाब के किसान आपको अपनी एक इंच भी ज़मीन नहीं लेने देंगे और आप 50,000 एकड़ ज़मीन छीनने की सोच रहे हैं,” उन्होंने आप सरकार को चेतावनी देते हुए याद दिलाया कि कैसे किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माफ़ी मांगकर तीन विवादास्पद कृषि क़ानून वापस लेने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने आगे कहा, “उसी तरह, पंजाब सरकार को भी माफ़ी मांगकर ये नीतियाँ वापस लेनी होंगी।”
पीसीसी अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस हमेशा की तरह किसानों के साथ खड़ी रहेगी। उन्होंने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए भूमि अधिग्रहण पर कानून बनाया था।
धरने में उपस्थित प्रमुख लोगों में एआईसीसी सचिव रविंदर दलवी, राणा केपी सिंह, सुखजिंदर सिंह रंधावा, बलबीर सिद्धू, साधु सिंह धर्मसोत, सुखपाल सिंह खैरा, डॉ. अमर सिंह, कैप्टन संदीप संधू, जस्सी खंगुरा, रमनजीत सिंह सिक्की, सुखपाल सिंह भुल्लर, गुरकीरत सिंह कोटली, मोहित मोहिंदरा, गुरशरण कौर रंधावा, राकेश पांडे, सुरिंदर डावेर, संजय तलवार और अन्य शामिल थे।