पंजाब में किसानों का फिर से संगठित होना, जो संयुक्त किसान मोर्चा की ‘जीत रैली’ के दौरान समराला में हुए विशाल शक्ति प्रदर्शन से स्पष्ट है, ने एक बार फिर कृषि नीति की मांग पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।
पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने कहा कि मसौदा नीति को सार्वजनिक किए जाने के बाद उन्हें 1.02 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा, “इन पर विचार किया जा रहा है और हम देख रहे हैं कि नीति में क्या-क्या लागू किया जा सकता है। इसके बाद मुख्यमंत्री के साथ इस पर चर्चा की जाएगी और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा।”
आप सरकार इस नीति को लागू करने में विफल रही है, हालाँकि इसका मसौदा लगभग दो साल पहले तैयार किया गया था और पिछले साल सितंबर में किसान यूनियनों के सामने चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया था। हालाँकि, उसके बाद से इस नीति पर कोई चर्चा नहीं हुई है, जबकि कुछ किसान नेताओं ने पंजाब राज्य किसान एवं खेत मजदूर आयोग द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने द ट्रिब्यून को बताया कि वे जल्द ही सरकार से नीति लागू न करने के कारणों पर सवाल उठाना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि आप सरकार को किसानों के कल्याण की ज़रा भी चिंता नहीं है और वह इसे लागू ही नहीं करना चाहती। दरअसल, जब भी हम सरकार से सवाल करते हैं, तो वे किसान यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार करके उनके पीछे पड़ जाते हैं।”