अगस्त-सितंबर में आई बाढ़ के कारण राज्य को धान उत्पादन में 17.54 लाख मीट्रिक टन (LMT) का नुकसान हुआ, जिससे 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ। इस वर्ष, कुल धान की खरीद 157.39 लाख मीट्रिक टन रही, जो पिछले वर्ष 173.93 लाख मीट्रिक टन से कम है। परिणामस्वरूप, किसानों को इस वर्ष 37,237.42 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि पिछले वर्ष लगभग 43,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इससे मुद्रा का प्रचलन कम हुआ और उपभोक्ता खर्च तथा राज्य कर राजस्व प्रभावित हुआ।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा बाढ़ प्रभावित अमृतसर, तरनतारन और फाज़िल्का जिलों में धान की बढ़ी हुई आवक की जाँच से पता चला है कि गैर-बासमती धान की बढ़ी हुई खेती ने बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई कर दी। बाढ़ के बावजूद, इन जिलों में धान की आवक पिछले साल के स्तर के बराबर रही, जिसके कारण सरकार को वहाँ धान की खरीद रोकनी पड़ी।
एक वरिष्ठ खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी ने कहा, “हमारी जाँच से पता चला है कि यह पूरी तरह से पिछले साल वैश्विक बासमती की कीमतों में चक्रीय गिरावट के कारण हुआ था, जिसके कारण किसानों ने बासमती की खेती छोड़ दी और गैर-बासमती किस्मों की खेती ज़्यादा करने लगे। जैसे-जैसे गैर-बासमती का रकबा बढ़ा, वैसे-वैसे इसका उत्पादन भी बढ़ा। नतीजतन, बाढ़ से हुए नुकसान के बावजूद धान की आवक पिछले साल के बराबर रही।”
पिछले साल राज्य में 33.02 लाख मीट्रिक टन बासमती धान की खरीद हुई थी, लेकिन इस साल 17 नवंबर तक केवल 15.10 लाख मीट्रिक टन उपज ही मंडियों में लाई गई। औसत कीमत पिछले साल के 3,744 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर इस साल 3,400 रुपये हो गई।

