June 23, 2025
Chandigarh

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की, पर्याप्त कानूनी ढांचे का हवाला दिया

चंडीगढ़ [भारत], 20 जून (एएनआई): पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ऑनलाइन ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, गेमिंग एप्लिकेशन और संबंधित विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय से आग्रह किया था कि वह भारत संघ को सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867, भारतीय न्याय संहिता, 2023, हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम अधिनियम, 2025 और सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 सहित कई कानूनों का उल्लंघन करते हुए सट्टेबाजी और दांव लगाने को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्लेटफार्मों के खिलाफ तत्काल कदम उठाने का निर्देश दे।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि ऐसी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए एक व्यापक वैधानिक ढांचा पहले से मौजूद है।
न्यायालय ने कहा कि विधायिका ने कई अधिनियमों और दिशानिर्देशों के माध्यम से ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए विशिष्ट उपाय और तंत्र प्रदान किए हैं।
पीठ ने कहा, “चूंकि याचिका में व्यक्त शिकायतों के निवारण के लिए पर्याप्त वैधानिक ढांचे मौजूद हैं, इसलिए इस न्यायालय के लिए अपने असाधारण रिट क्षेत्राधिकार में याचिका पर विचार करने का कोई अवसर नहीं है।”
हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने याचिकाकर्ता के दावों की मूल योग्यता की जांच नहीं की है और इस बात पर जोर दिया है कि उसका निर्णय केवल मौजूदा कानूनों के तहत कानूनी उपायों की उपलब्धता पर आधारित है। आदेश में कहा गया है,
“इस न्यायालय के पास यह अनुमान न लगाने का कोई कारण नहीं है कि संबंधित अधिकारी याचिका में उठाई गई शिकायतों और मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेंगे और कानून और स्थापित प्रक्रिया के अनुसार उन पर निर्णय लेंगे।”
याचिकाकर्ता को हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम अधिनियम, 2025 या अन्य प्रासंगिक क़ानूनों के अनुसार उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई थी। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि इस तरह के किसी भी प्रतिनिधित्व पर उचित प्रक्रिया के अनुसार विचार किया जाना चाहिए और निर्णय लिया जाना चाहिए।
याचिका में सार्वजनिक व्यवस्था और वैधता के लिए खतरों का हवाला देते हुए YouTube, Instagram, Facebook, प्रिंट और टेलीविज़न जैसे माध्यमों पर इन प्लेटफ़ॉर्म के विज्ञापन और मार्केटिंग पर अंकुश लगाने की भी मांग की गई थी। (एएनआई)

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