पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय 6 दिसंबर को पटियाला स्थित केंद्रीय कारागार में एक सुधारात्मक सुधार पहल, “सलाखों के पीछे जीवन को सशक्त बनाना: वास्तविक परिवर्तन – सुधारात्मक न्याय का नया प्रतिमान” का शुभारंभ कर रहा है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
इस पहल का उद्देश्य पंजाब की जेलों को शिक्षण और पुनर्वास केंद्रों में बदलना है, जहाँ पंजाब कौशल विकास मिशन के सहयोग से 24 जेलों में 2,500 कैदियों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। जेलों के अंदर ग्यारह आईटीआई स्थापित किए जाएँगे, जो वेल्डिंग, इलेक्ट्रीशियन और कॉस्मेटोलॉजी जैसे व्यवसायों में एनसीवीटी-प्रमाणित पाठ्यक्रम प्रदान करेंगे।
कैदियों को प्रमाणित संकाय, आधुनिक कार्यशालाओं, 1,000 रुपये मासिक वजीफे और एनसीवीईटी/एनएसक्यूएफ प्रमाणन के साथ राष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा। पुनर्एकीकरण ढाँचा सरकारी आईटीआई, प्लेसमेंट सहायता और एमएसएमई योजनाओं तक पहुँच के माध्यम से रिहाई के बाद निरंतरता सुनिश्चित करता है।
पूरक सुधारों में नौ जेलों में पेट्रोल पंप चालू करना, खेल कार्यक्रम और रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए मंच उपलब्ध कराना शामिल है। पंजाब राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण 6 दिसंबर, 2025 से 6 जनवरी, 2026 तक एक महीने का नशा-विरोधी जागरूकता अभियान, “युवा नशे के विरुद्ध” भी शुरू करेगा।
एक अधिकारी ने बताया कि ये पहल पुनर्वास न्याय, सम्मान और सुरक्षित समुदायों के प्रति उच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिससे कैदियों को हिरासत से क्षमता तक जाने में मदद मिलती है और नशा मुक्त समाज को बढ़ावा मिलता है।

