पंजाब कांग्रेस छोड़कर गए पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर शाम अरोड़ा, जीत महेंद्र सिंह और गुरप्रीत सिंह कांगड़ ने कुछ दिन पहले घरवापसी की थी। इसका विरोध करते हुए चार जिला प्रधानों ने अपने इस्तीफे में कहा है कि पार्टी से गद्दारी करने और सत्ता के लालची नेताओं को दोबारा पार्टी में शामिल न किया जाए।पंजाब भाजपा छोड़कर घर वापसी करने वाले आठ कांग्रेस नेताओं का प्रदेश कांग्रेस में ही विरोध शुरू हो गया है। चार जिला प्रधानों ने प्रदेश अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज दिए हैं।
पार्टी में लौट रहे पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर शाम अरोड़ा, जीत महेंद्र सिंह और गुरप्रीत सिंह कांगड़ की कांग्रेस में वापसी का विशेष तौर पर विरोध करते हुए चार जिला प्रधानों ने अपने इस्तीफे में कहा है कि पार्टी से गद्दारी करने और सत्ता के लालची नेताओं को दोबारा पार्टी में शामिल न किया जाए। अगर इन नेताओं को कांग्रेस में वापस लिया जाता है, तो ऐसे अवसरवादियों को वर्करों की कतार में ही रखा जाए। इन्हें नेता के रूप में पार्टी में स्थान न दिया जाए।उधर, पार्टी हाईकमान के सूत्रों का कहना है कि भाजपा से लौटे इन सभी नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और पंजाब में नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा के नेतृत्व में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया।
पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बताया कि वापस लौट रहे नेताओं को लेकर प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग भी उत्साहित नहीं हैं और कई अन्य सीनियर नेता भी उनकी वापसी पर एतराज जता रहे हैं। सीनियर नेताओं ने हाईकमान से पार्टी छोड़कर भाजपा में गए और फिर वापसी कर रहे इन नेताओं को मौकापरस्त करार देते हुए फिर से पार्टी में न लिए जाने की मांग की है। यह भी पता चला है कि इन नेताओं को भाजपा से वापस लाने में प्रताप बाजवा ने अहम भूमिका निभाई थी और बाजवा ही इन्हें लेकर दिल्ली में हाईकमान से मिलाने पहुंचे थे। हालांकि, उस समय बाजवा के साथ राजा वड़िंग भी मौजूद रहे, लेकिन उन्होंने पार्टी महासचिव के सामने इस मामले पर खामोशी साधे रखी।
पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए आठ नेताओं को जब पसंदीदा ओहदे नहीं मिले तो उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी में लौटना ही बेहतर समझा।प्रदेश भाजपा सूत्रों के अनुसार आठ पूर्व कांग्रेसी नेताओं के भाजपा छोड़ने में राजकुमार वेरका ने अहम भूमिका निभाई। वेरका ने प्रदेश भाजपा प्रधान से मांग की थी कि उन्हें राष्ट्रीय एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया जाए। यह पद अब तक पंजाब भाजपा के पूर्व प्रधान विजय सांपला के पास था, जिन्हें पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए पद वापस लिया है। पता चला है कि पूर्व कांग्रेसी नेताओं ने मांग भी रखी कि उनके बारे में अगर कोई सियासी विवाद खड़ा होता है तो भाजपा हाईकमान उनकी मदद करे।
जानकारी के अनुसार सुनील जाखड़ ने इस संबंध में पार्टी हाईकमान से बातचीत भी की, लेकिन हाईकमान ने यह कहते हुए वेरका को पद देने से इन्कार कर दिया कि भाजपा के कई सीनियर नेता कतार में हैं और वेरका अभी पार्टी में इस कद के नेता नहीं बने हैं। सूत्रों के अनुसार, इससे नाराज वेरका ने कांग्रेस से भाजपा में आए अन्य नेताओं को भी अपने साथ मिलाया और पार्टी को अलविदा कह दिया। हालांकि इस संबंध में पंजाब भाजपा प्रधान ने कुछ भी कहने से इन्कार किया है।