संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान, राज्यसभा सांसद और पर्यावरणविद बलबीर सिंह सीचेवाल ने पंजाब में तेजी से घटते भूजल स्तर के संबंध में राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न उठाया।
इसके जवाब में, केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पंजाब देश में भूजल संकट से जूझ रहा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। उन्होंने सदन को सूचित किया कि पंजाब भूजल का दोहन उसकी प्राकृतिक वार्षिक पुनर्भरण क्षमता से कहीं अधिक दर से कर रहा है।
सीजीडब्ल्यूबी की राष्ट्रीय मूल्यांकन रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार, पंजाब में भूजल दोहन की दर 156 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो सभी भारतीय राज्यों में सबसे अधिक है।
यह राष्ट्रीय औसत 60.63 प्रतिशत से काफी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में वार्षिक भूजल पुनर्भरण 18.60 अरब घन मीटर होने का अनुमान है, जबकि सुरक्षित रूप से निकाला जा सकने वाला भूजल केवल 16.80 अरब घन मीटर है। इसके विपरीत, राज्य वर्तमान में सिंचाई, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए प्रतिवर्ष लगभग 26.27 अरब घन मीटर भूजल निकाल रहा है।
धान जैसी अधिक जल खपत वाली फसलों की खेती और ट्यूबवेलों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण, कई क्षेत्रों में भूजल स्तर प्रति वर्ष आधे मीटर से अधिक घट रहा है। जल दोहन की दर 147.11 प्रतिशत के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर है, जबकि हरियाणा 136.75 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है।
राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, जल शक्ति अभियान 2025 के तहत पंजाब के 20 जिलों को प्राथमिकता सूची में शामिल किया गया है। पिछले चार वर्षों में राज्य में 61,500 से अधिक भूजल पुनर्भरण और जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त, पंजाब में लगभग 11 लाख पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण की सिफारिश की गई है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 12 करोड़ घन मीटर वर्षा जल का संरक्षण संभव हो सकेगा।


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