वेतन समानता के लिए संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने आज यहां आयोजित राज्य स्तरीय धरने में स्वास्थ्य विभाग में अपने समकक्षों के साथ पशु चिकित्सा अधिकारियों के वेतन समानता की बहाली में देरी के लिए पंजाब सरकार की कड़ी निंदा की।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह असमानता पिछली सरकार द्वारा अपने अंतिम समय में पैदा की गई थी तथा यह 5वें व 6वें पंजाब वेतन आयोग और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की पूर्ण अवहेलना थी, साथ ही यह अदालत की अवमानना भी थी, क्योंकि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय के तहत पशु चिकित्सा अधिकारियों को चिकित्सा अधिकारियों के समकक्ष 940-1850 का वेतनमान प्रदान किया गया था।
इस धरने में राज्य के सभी जिलों के सभी रैंकों के पशु चिकित्सक, सेवानिवृत्त पशुपालन अधिकारी तथा गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना सहित तीनों पशु चिकित्सा महाविद्यालयों के विद्यार्थी शामिल हुए।
विभिन्न वक्ताओं ने राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने के लिए पशु चिकित्सकों द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, जब विभाग के विशेषज्ञों ने मानव स्वास्थ्य कर्मियों पर भार कम करने के लिए अपने उत्तर क्षेत्र रोग निदान प्रयोगशाला जालंधर में कोविड-19 परीक्षण के लिए मदद की।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पिछले वित्त मंत्री ने उनका प्रवेश वेतनमान 56,100 रुपये से घटाकर 47,600 रुपये कर उन्हें पुरस्कृत किया था।
उन्होंने ‘एक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के अंतर्गत पशु चिकित्सकों के महत्व को रेखांकित किया, ताकि मानव आबादी में जूनोटिक रोगों के प्रसार को रोका जा सके।
मोर्चा ने कहा, “यही कारण है कि कनाडा सरकार ने एक पशु चिकित्सक को स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया था, ताकि वह समुदाय को मौजूदा और नई उभरती बीमारियों से बचाने के लिए रणनीति तैयार कर सके। इसके विपरीत, पंजाब सरकार पशु चिकित्सकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, जिनके प्रवेश वेतनमान को वित्त विभाग में गड़बड़ी के बाद कम कर दिया गया है।”
जेएसी के संयोजक डॉ. गुरचरण सिंह और सह-संयोजक डॉ. पुनीत मल्होत्रा, डॉ. अब्दुल मजीद और डॉ. हरमनदीप सिंह ने कहा कि पिछले चार दशकों से पशु चिकित्सकों और चिकित्सकों के बीच समानता कायम है, जिसे बदलने का कोई औचित्य नहीं है। बल्कि, एक समय था जब पशु चिकित्सकों का वेतनमान चिकित्सकों से अधिक था।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि उनके समुदाय के साथ हो रहे अन्याय को शीघ्र दूर किया जाए, अन्यथा जेएसी उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल का विरोध करेगी।
इस अवसर पर बोलते हुए जेएसी के मीडिया प्रभारी तथा पंजाब राज्य पशु चिकित्सा परिषद के सदस्य डॉ. गुरिंदर सिंह वालिया ने कहा कि हालांकि पिछले मंत्री कुलदीप धालीवाल, श्री लालजीत सिंह भुल्लर तथा मौजूदा श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां बार-बार आश्वासन देते रहे हैं कि पिछले वित्त मंत्री द्वारा उनके साथ की गई नाइंसाफी को दूर करके उन्हें चिकित्सकों के बराबर वेतन दिया जाएगा, परंतु आज तक उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है तथा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
डॉ. वालिया ने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान जमीनी स्तर के नेता हैं, जो न केवल ईमानदार हैं, बल्कि दूरदर्शी भी हैं, जो जानते हैं कि पशुधन क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सकल घरेलू उत्पाद को ऊपर उठाने में क्या भूमिका निभा सकता है, क्योंकि वर्तमान समय में शहरीकरण और भूमि जोत के विभाजन के कारण कृषि क्षेत्र का योगदान सीमित है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से राज्य के पशु चिकित्सकों की वास्तविक शिकायतों का निवारण करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर बोलने वाले प्रमुख लोगों में पंजाब गौ सेवा आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन कुमार गुप्ता, डॉ. प्रीति सिंह, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक डॉ. अमरीक सिंह, डॉ. तरपिंदर सिंह, डॉ. नितिन गौतम, डॉ. तेजिंदर सिंह और डॉ. अमित नैन शामिल थे।