N1Live National दिल्ली में चुनावी हिंसा और गुंडागर्दी पर उठ रहे सवाल, सबसे बड़ा गुंडा कौन : केजरीवाल
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दिल्ली में चुनावी हिंसा और गुंडागर्दी पर उठ रहे सवाल, सबसे बड़ा गुंडा कौन : केजरीवाल

Questions are being raised on election violence and hooliganism in Delhi, who is the biggest goon: Kejriwal

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाया है कि दिल्ली के चुनावों में हो रही लगातार हिंसा और गुंडागर्दी ने पूरे देश में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले, पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, और चुनावी प्रचार में खुलेआम धमकियां देने की घटनाएं यह सवाल खड़ा कर रही हैं कि इस सबकी असली जड़ क्या है?

केजरीवाल ने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि वह कौन सा “गुंडा” है, जिसके डर से दिल्ली पुलिस तक लाचार हो जाती है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पत्रकारों पर खुलेआम हमले किए गए, जिनमें एक पत्रकार का सिर फट गया। यह घटना दिल्ली के प्रमुख स्थानों के पास, जैसे संसद और सुप्रीम कोर्ट के नजदीक हुई, लेकिन फिर भी पुलिस कार्रवाई में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हमलावरों को छोड़ा गया, जबकि पत्रकारों को ही गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि वह कौन है, जो इन घटनाओं का सूत्रधार है और जिसके सामने सरकार और पुलिस सब नतमस्तक हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, चुनावी माहौल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा भी बढ़ी है, और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी लगातार हमले हो रहे हैं। गाड़ियों को नुकसान पहुंचाना, मटेरियल की जब्ती और खुलेआम धमकियां दी जा रही हैं। इन घटनाओं ने आम जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर चुनाव के दौरान ही यह हाल है, तो चुनाव के बाद का माहौल क्या होगा।

अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि आखिरकार, यह देश के लोकतंत्र और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों का अपमान है। इन सेनानियों ने हमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव देने का अधिकार दिलाया था, लेकिन अब चुनाव आयोग की निष्क्रियता और भाजपा के सामने उसकी स्थिति ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारतीय लोकतंत्र अब खतरे में है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राजीव कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त, जिन्होंने इस महीने के अंत में रिटायर होना है, से जनता यह सवाल कर रही है कि क्या उन्हें किसी पोस्ट-रिटायरमेंट पद के बदले देश के लोकतंत्र को गिरवी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है? यह एक बड़ा प्रश्न है, जो चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। देश की जनता अब जागरूक हो चुकी है और यह तय कर लिया है कि वह इस गुंडागर्दी का सामना करेगी। लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की रक्षा करना अब हर नागरिक की जिम्मेदारी बन गई है।

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