March 31, 2025
National

उत्तराखंड में कहर बनकर टूटी बारिश, यमुनोत्री धाम की यात्रा फिर बाधित, 229 सड़कें बंद

Rain breaks as havoc in Uttarakhand, Yamunotri Dham Yatra interrupted again, 229 roads closed.

देहरादून, उत्तराखंड में बारिश जमकर उत्पात मचा रही है। भारी बारिश के कारण कहीं भूस्खलन और कहीं सड़कें बाधित होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। विभाग ने राजधानी देहरादून समेत टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा, चंपावत और उधम सिंह नगर में भारी बारिश का अनुमान जताया है। भारी बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने नैनीताल, चंपावत और उधम सिंह नगर जनपदों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड में बीते कई दिनों से हो रही बारिश के कारण पैदल मार्ग पर जोखिम बढ़ने से यमुनोत्री धाम की यात्रा मंगलवार को तीसरे दिन भी रुकी है। विभिन्न राज्यों से आए तीर्थयात्री पिछले दो दिनों से कई स्थानों पर फंसे हुए हैं।

भारी बारिश के कारण चारधाम यात्रा के लिए नासूर बना जानकीचट्टी यमुनोत्री पैदल मार्ग भंडेलीगाड़ के पास भूस्खलन से अवरुद्ध हो गया था, जिसके चलते प्रशासन ने जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम की ओर श्रद्धालुओं को जाने से रोका हुआ है। स्थानीय प्रशासन ने मंगलवार देर शाम आवाजाही शुरू करने की बात कही है। जानकीचट्टी यमुनोत्री पैदल मार्ग पर करोड़ों खर्च के बाद भी सुरक्षित आवाजाही सपना बनकर रह गई है। पिछले एक दशक में यहां सुरक्षित आवाजाही के नाम पर पांच करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं, जबकि इस यात्रा सीजन से पूर्व वैकल्पिक मार्ग के नाम पर 50 लाख खर्च किए गए हैं।

प्रदेश में हुई भारी बारिश के बाद सड़कों पर मलबा और बोल्डर आने से 14 स्टेट हाईवे समेत कुल 229 सड़कें बंद हो गईं। सोमवार को 86 सड़कों को खोला जा सका है। सड़कों को खोलने के काम में 297 जेसीबी मशीनों को लगाया गया है। प्रदेश में 14 स्टेट हाईवे, 7 मुख्य जिला मार्ग, 9 अन्य जिला मार्ग, 73 ग्रामीण सड़कें और 126 पीएमजीएसवाई की सड़कें बंद हैं।

रुद्रप्रयाग में बारिश आफत बनकर बरस रही है। बारिश और भूस्खलन के कारण जनपद के भीतर 18 मोटरमार्ग बंद हैं, जबकि 62 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। 22 गांवों में विद्युत आपूर्ति भी ठप है। जिस कारण ग्रामीणों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से कटा हुआ है।

नैनीताल विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड कोटाबाग के 14 गांवों की 10 हजार की आबादी को जोड़ने वाला पांडेगांव देवीपुरा-सौड मोटर मार्ग यातायात के लिए सुरक्षित नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर माह में आई आपदा के बाद से ही सड़क क्षतिग्रस्त है। ग्रामीणों को खुद ही सड़क बनाने के लिए श्रमदान करना पड़ रहा है।

वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालयी क्षेत्रों में होने वाली बर्फबारी के बाद जब गर्मी में बर्फ पिघलती है तो चट्टानों और मिट्टी को मुलायम बना देती है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ढलानों पर गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होने की वजह से चट्टानें और मिट्टी नीचे खिसकने लगती है। यही भूस्खलन का कारण बनतीं है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते उत्तराखंड समेत देश के तमाम पर्वतीय राज्यों में कम समय में बहुत अधिक बारिश भी भूस्खलन का कारण बन रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों में अंधाधुंध तरीके से सड़कों के निर्माण समेत तमाम विकास कार्य, वनों की कटाई और जलाशयों से पानी का रिसाव भूस्खलन का बड़ा कारण साबित हो रहा है।

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