झुंझुनू, 22 नवंबर । राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया था लेकिन वह अचानक जिंदा हो गया। यह मामला तब सामने आया जब दिव्यांग और मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति रोहिताश को बीडीके अस्पताल में मृत घोषित किया गया था, लेकिन बाद में वह अंतिम संस्कार के दौरान जीवित हो गया। इस घटना के बाद राजस्थान सरकार ने गंभीर लापरवाही मानते हुए तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है।
गुरुवार की सुबह रोहिताश नामक एक व्यक्ति को मां सेवा संस्थान से इलाज के लिए सरकारी बीडीके अस्पताल लाया गया। वह मानसिक रूप से विक्षिप्त और दिव्यांग था। अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और उसके शव को मोर्चरी में रखवाया। डॉक्टरों के अनुसार रोहिताश को मृतक मानकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। पोस्टमार्टम के बाद, शव को अंतिम संस्कार के लिए संस्थान को सौंप दिया गया।
लेकिन जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तो वह जीवित पाया गया। इसके बाद उसे फिर से अस्पताल लाया गया और आईसीयू में भर्ती किया गया। इस हैरतअंगेज घटना की सूचना मिलते ही राजस्थान सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। सरकार ने तहसीलदार और बग्गड़ थानाधिकारी को जांच के लिए अस्पताल भेजा। बताया जा रहा है कि बीडीके अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों को घुमा दिया गया था। जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए स्वास्थ्य विभाग को पूरी रिपोर्ट भेजी। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान सरकार ने देर रात दोषी चिकित्सकों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया।
इस घटना में दोषी पाए गए तीन चिकित्सकों के खिलाफ कठोर कदम उठाए गए हैं। बी डी के अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश जाखड़ और डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया गया। इन तीनों डॉक्टरों का निलंबन ऐसे क्षेत्रों में किया गया है जो सीमावर्ती और सरहदी इलाकों में हैं, ताकि यह सजा के रूप में माना जा सके।
निलंबन के दौरान डॉ संदीप पचार का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जैसलमेर, डॉ योगेश जाखड़ का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस बाड़मेर और डॉ नवनीत मील का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जालोर रहेगा। बीडीके अस्पताल के पीएमओ सहित आरोपी चिकित्सकों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है।
—
Leave feedback about this