जयपुर, 20 नवंबर | राजस्थान में कोटा के चंबल नदी तट पर दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को बाहर निकालते समय एक इंजीनियर समेत दो लोगों की मौत हो गई। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
रविवार को एक मजदूर के साथ बॉक्स पर खड़े कास्टिंग इंजीनियर देवेन्द्र आर्य करीब 35 फीट की ऊंचाई से गिर गये।
दोनों को कोटा के तलवंडी स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
कुन्हाड़ी थाना अधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि घटना उस समय हुई जब मोल्ड बॉक्स से घंटी निकालने का काम चल रहा था।
दोपहर तीन बजे इंजीनियर देवेन्द्र आर्य और मजदूर छोटू बक्से से घंटी निकालने का काम कर रहे थे। हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से घंटी को हटाया जा रहा था।
अचानक सबसे ऊपरी गार्डर (लोहे का जोड़) हाइड्रोलिक मशीन से छूते ही फिसल गया और तीन टुकड़ों में टूट गया।
इससे दोनों अपना संतुलन खो बैठे और 35 फीट की ऊंचाई से गिर गए। उन्हें गंभीर चोटें आईं।
छोटू ने अस्पताल ले जाने के दौरान ही दम तोड़ दिया, जबकि इंजीनियर की इलाज के दौरान मौत हो गई।
गौरतलब है कि घंटी मोल्ड बॉक्स में है और इसे इसी महीने हटाया जाना था।
दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को सांचे से बाहर निकालने का काम इसी महीने फिर से शुरू हुआ।
यूआईटी और ठेकेदार ने 3 नवंबर को सांचा बनाने वाले इंजीनियर देवेन्द्र आर्य को बुलाया था।
79,000 किलोग्राम वजनी घंटे का निर्माण देवेन्द्र आर्य ने नदी तट पर एक अस्थायी कारखाना स्थापित करके किया था।
बाद में इसका श्रेय लेने को लेकर आर्किटेक्ट अनूप बरतिया और आर्य के बीच विवाद हो गया और आर्य सांचे से घंटी हटाए बिना ही वापस लौट आए थे।
आर्य ने दावा किया था कि घंटी को तभी हटाया जाएगा जब उन्होंने घंटी बनाते समय जिन रसायनों का इस्तेमाल किया था, वे एक विशिष्ट तरीके से प्रतिक्रिया करेंगे और यह जानकारी उनके अलावा किसी के पास नहीं है।
इससे पहले उन्होंने यूआईटी और ठेकेदार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि घंटी बनाने का श्रेय इसके डिजाइनर को दिया गया और यूआईटी ठेकेदार ने डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान भी रोक लिया है।
आर्य ने भुगतान प्राप्त होने तक घंटी को सांचे से बाहर निकालने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, “अगर मैं इसे बाहर नहीं निकालूंगा तो कोई भी ऐसा नहीं कर पाएगा।”
बयान के बाद आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई थी, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया।