बॉलीवुड फिल्म ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर हर दिन नए रिकॉर्ड बना रही है। एक तरफ जहां पैसों की बरसात हो रही है तो दूसरी तरफ फिल्म के डायलॉग्स और कहानी लोगों को काफी पसंद आ रही है। भारत में जहां फिल्म को लेकर क्रेज देखने को मिल रहा है, वहीं कई खाड़ी देशों में ‘धुरंधर’ पर बैन लगाया गया है।
इसे लेकर नेताओं के बयान भी सामने आए हैं। राज्यसभा सांसद उज्ज्वल निकम ने कहा कि फिल्म ने सच्चाई दिखाई है, इसीलिए मिर्ची लगी है।
नई दिल्ली में आईएएनएस से बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा कि मैंने फिल्म नहीं देखी है, लेकिन जहां तक सुना है, इसमें दिखाया गया है कि कैसे 26/11 के आतंकी हमले और भारत में दूसरे हमलों की प्लानिंग पाकिस्तान में की गई थी। बड़े आतंकवादियों के खिलाफ ट्रायल करने के बाद, मैंने देखा है कि कैसे पाकिस्तान आतंकवादियों को भारत पर हमला करने के लिए उकसाता है। मैं इस बैन को एक नासमझी भरा कदम कहूंगा। जब किसी फिल्म का बायकॉट किया जाता है, तो इसका मतलब आमतौर पर यह होता है कि फिल्म सच दिखा रही है।
भाजपा नेता विक्रम रंधावा ने कहा कि मेरा मानना है कि सच सामने आना चाहिए और ये बातें हमें याद दिलाती हैं कि जब कुछ बातें लोगों तक नहीं पहुंचती हैं और उन्हें विजुअल मीडियम के जरिए बताया जाता है, तो आखिर में उनका असर होता है। अब, इन देशों के लोग डिटेल में बता सकते हैं कि उन्हें इसमें क्या गलत लगा। लेकिन, जैसा मैं देख रहा हूं, पूरे देश में, खासकर युवाओं में, फिल्म ‘धुरंधर’ को लेकर रिस्पॉन्स काफी पॉजिटिव है। जिस तरह से कलाकारों ने प्रदर्शन किए हैं, उसे लेकर फिल्म पर बैन लगाना कहां से उचित है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक ‘धुरंधर’ फिल्म को स्वीकार किया गया है। बैन लगाने का जो रिएक्शन आया है, यह इसीलिए आया है, क्योंकि इन लोगों की सच्चाई सामने आ रही है, और वे जो कर रहे थे, वह अब सामने आ रहा है। इसलिए, हमें इसे नेगेटिव नहीं लेना चाहिए। कलाकारों ने अपनी कला दिखाई है, और बनाने वालों ने एक असली काम पेश किया है।
शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि इस्लामिक देश इसे बैन कर सकते हैं या जो चाहें कर सकते हैं। वे वैसा ही करेंगे। दुख की बात यह है कि यहां विपक्ष भी ‘धुरंधर’ फिल्म के खिलाफ बोल रहा है। क्या उनका एजेंडा भी इस्लामिक देशों जैसा ही है। मैं उनसे पूछता हूं कि वह बैन लगा रहे हैं, ठीक है, यहां विपक्ष विरोध क्यों कर रहा है। फिल्म को फिल्म के तौर पर लेना चाहिए। इस्लामिक देश की जो भूमिका है, वही हमारे विपक्ष की भूमिका है।


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