रामपुर, 12 जुलाई सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने और उन्हें रोकने के उपायों को लागू करने के लिए एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आईआरएडी) एक ऑनलाइन डेटाबेस रिपोर्ट तैयार की जा रही है। दुर्घटना की स्थिति में, संबंधित सभी विभागों को एक निर्धारित समय के भीतर पोर्टल के माध्यम से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
दावों के प्रसंस्करण में तेजी लायी जाएगी दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने और उनके मुख्य कारणों की तकनीकी पहचान करने के लिए एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आईआरएडी) तैयार किया जा रहा है सभी संबंधित विभागों को निर्धारित समय के भीतर पोर्टल के माध्यम से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी इस पहल से विशिष्ट क्षेत्रों में दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने में मदद मिलेगी और प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों के लिए बीमा एजेंसियों से शीघ्र दावे प्राप्त करने में सुविधा होगी।
इस पहल के बारे में संबंधित विभागों के अधिकारियों को जानकारी देने के लिए आज रामपुर स्थित आरटीओ कार्यालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस पहल से विशिष्ट क्षेत्रों में दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने में मदद मिलेगी और प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों को बीमा एजेंसियों से त्वरित दावे प्राप्त करने में सुविधा होगी। इस पहल में पुलिस, स्वास्थ्य, परिवहन और सड़क से संबंधित संस्थान जैसे विभिन्न विभाग भाग लेंगे।
दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करने तथा उनके मुख्य कारणों की तकनीकी रूप से पहचान करने के लिए जांच अधिकारी दुर्घटनाओं से संबंधित सभी पहलुओं की जांच करेंगे तथा एक निश्चित समय के भीतर अपनी रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करेंगे। सभी विभागों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर पूरे क्षेत्र में ब्लैक स्पॉट की पहचान की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, मोटर वाहन अधिनियम के तहत प्रभावित पक्ष को मुआवजा देने में तेजी आएगी क्योंकि ऑनलाइन प्रणाली के तहत अधिकारियों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इस इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट के कार्यान्वयन का काम केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में, एनआईसी देश भर में विभिन्न एजेंसियों को इस आधुनिक प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दे रहा है।
रामपुर में एक शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें दिखाया गया कि किस प्रकार पुलिस अस्पताल से घायलों का विवरण प्राप्त कर सकती है, दुर्घटना का निरीक्षण कर सकती है तथा पोर्टल पर अपने निष्कर्षों को दर्ज कर सकती है, इसके अतिरिक्त तकनीकी अधिकारी किस प्रकार क्षतिग्रस्त वाहन की यांत्रिक रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं।
कार्यकारी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जसपाल सिंह ने बताया कि आईआरएडी पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा दुर्घटना की जांच के बाद पोर्टल पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का तरीका सीखा।
उप-मंडल स्तर पर समितियां भी बनाई गई हैं, जिनमें प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी बताई गई है। संबंधित उप-मंडल अधिकारियों की अध्यक्षता वाली इन समितियों का उद्देश्य लगातार होने वाली दुर्घटनाओं के पीछे के प्राथमिक कारणों की पहचान करना है।
एनआईसी अधिकारी अश्विनी नेगी ने बताया कि आईआरएडी को आईआईटी मद्रास में विकसित किया गया है, जिसकी कार्यान्वयन एजेंसी एनआईसी है। एनआईसी अधिकारी ने बताया कि अब इसे पूरे देश में लागू किया जा रहा है।
पुलिस, सड़क निर्माण एजेंसियां, परिवहन, स्वास्थ्य और अन्य संबंधित विभाग समेत सभी हितधारक इस पहल का हिस्सा हैं। डेटा एकत्र करने के बाद दुर्घटनाओं के कारणों, किसी भी कमी और अधिक दुर्घटना दर वाले क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और ऐसी घटनाओं को कम करने के प्रयास किए जाएंगे।