July 3, 2025
National

रवि योग: हर काम में मिलेगी सफलता, बस करें ये उपाय

Ravi Yoga: You will get success in every work, just follow these remedies!

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सभी योग में रवि योग बेहद ही शुभ और प्रभावशाली योग होता है। यह योग सूर्य और चंद्रमा के खास संयोग से बनता है। शुक्रवार के दिन इस योग का संयोग बन रहा है, जो बेहद शुभ है और इस योग में किए गए सभी धार्मिक कार्य से जातकों को कई गुना फल मिलता है। शुक्रवार को सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे, वहीं चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि (दोपहर के 4 बजकर 31 मिनट तक) 4 जुलाई को पड़ रही है। दृक पंचांगानुसार, 4 जुलाई को नवमी तिथि दोपहर के 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। शुक्रवार के दिन रवि योग बन रहा है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों से सफलता प्राप्त होती है।

रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र, सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है। यह एक ऐसा शक्तिशाली योग है जिसमें किसी भी नए कार्य की शुरुआत, निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

ज्योतिष के अनुसार, इस योग में किए गए कार्यों में विघ्न खत्म होते हैं और सफलता की संभावना बढ़ जाती है। इसका दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है।

इस दिन सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए सुबह के समय अर्घ्य और “ओम सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में तेज, ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही, लाल वस्त्र, गेहूं या गुड़ का दान करना भी फायदेमंद माना जाता है। यह दान करने से रोग, दरिद्रता और असफलता समेत कई दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है।

पुराणों के अनुसार, शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से सभी दुखों का नाश होता है और माता रानी अपने भक्तों को सभी कष्टों से बचाती हैं। साथ ही उनकी जो भी मनोकामनाएं होती हैं, उन्हें भी पूर्ण करती हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ आपको शुक्रवार व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

धार्मिक विद्वान बताते हैं कि रवि योग के दिन व्रत रखना चाहिए। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल का छिड़काव कर एक चौकी पर कपड़ा बिछाना चाहिए और फिर मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान के साथ करनी चाहिए। माता का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। दीपक जलाएं और कथा सुनें और मां लक्ष्मी की आरती करें।

Leave feedback about this

  • Service