राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यूपीआई जैसे इनोवेशन के साथ भारत को डिजिटल भुगतान में ग्लोबल लीडर बनाने में आरबीआई की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए केंद्रीय बैंक की सराहना की।
आरबीआई के 90वें वर्ष के अवसर पर समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “देश के पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर का लगातार आधुनिकीकरण कर, रिजर्व बैंक ने यह सुनिश्चित किया है कि डिजिटल लेनदेन न केवल सहज और कुशल हों, बल्कि सुरक्षित भी हो। यूपीआई जैसे इनोवेशन ने वित्तीय पहुंच में क्रांति ला दी है, जिससे तत्काल, कम लागत वाले लेनदेन संभव हुए हैं और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। भुगतान से परे, आरबीआई ने एक जीवंत फिनटेक इकोसिस्टम का पोषण किया है।”
उन्होंने कहा कि नौ दशकों में आरबीआई की सबसे बड़ी उपलब्धि ‘लोगों का विश्वास जीतना’ है। आरबीआई ने मूल्य स्थिरता, विकास और वित्तीय स्थिरता के अपने जनादेश को दृढ़ता से बनाए रखते हुए यह विश्वास अर्जित किया है।
साथ ही, हमारे बढ़ते देश की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक ने इन जरूरत के अनुरूप लगातार खुद को ढाला है। 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण से लेकर कोविड-19 महामारी तक प्रमुख चुनौतियों के प्रति आरबीआई की तुरंत प्रतिक्रियाएं इसके लचीलापन और अनुकूलनशीलता को उजागर करती हैं। तेजी से आगे बढ़ रही दुनिया में आरबीआई ने भी यह भी सुनिश्चित किया है कि भारत का फाइनेंशियल सिस्टम किसी भी प्रतिकूल अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड को लेकर लचीला बना रहे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आरबीआई देश में सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक के रूप में उभरा है। उन्होंने बताया कि आम आदमी का आरबीआई से कोई सीधा संपर्क नहीं होता है। यह संबंध केवल आम आदमी की जेब में मौजूद करेंसी नोटों पर छपे केंद्रीय बैंक के नाम तक ही सीमित होता है। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से, बैंकों और अन्य माध्यमों से आम लोगों के सभी वित्तीय लेन-देन आरबीआई द्वारा नियंत्रित होते हैं और वे सहज रूप से इसके द्वारा देखरेख किए जाने वाले फाइनेंशियल सिस्टम में अपना पूरा विश्वास रखते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक के रूप में आरबीआई भारत की अविश्वसनीय विकास कहानी के केंद्र में है। इसने देश की अब तक की पूरी यात्रा देखी है। आरबीआई आजादी से पहले के समय से गरीबी झेल चुका है लेकिन आज यह दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जैसे-जैसे भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरा करने के करीब पहुंच रहा है, ‘विकसित भारत 2047’ का मिशन एक ऐसे फाइनेंशियल इकोसिस्टम की मांग करता है जो इनोवेटिव, अनुकूलनीय और सभी के लिए सुलभ हो। उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता नई जटिलताएं और चुनौतियां पेश करेगा।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्थिरता, इनोवेशन और समावेशिता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, आरबीआई ताकत का एक स्तंभ बना रहेगा – विश्वास को मजबूत करेगा और भारत को समृद्धि और ग्लोबल लीडरशिप के भविष्य की ओर ले जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता के संरक्षक के रूप में, आरबीआई इस यात्रा में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।