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दूसरों से लड़ना नहीं, अपने लिए खड़ा होना असली नारीवाद : यामी गौतम

Real feminism is not about belonging to industries, but standing up for yourself: Yami Gautam

हिंदी सिनेमा में सच्ची घटनाओं से प्रेरित फिल्मों का बोलबाला है। इस बीच अभिनेता इमरान हाशमी और अभिनेत्री यामी गौतम ऐसी ही एक फिल्म ‘हक’ लेकर आए हैं, जो शाहबानो केस पर आधारित है। फिल्म के प्रमोशन के दौरान यामी गौतम ने नारीवाद और महिलाओं के अधिकारों पर अपने विचार साझा किए।

यामी गौतम ने फिल्म में शाजिया बानो का रोल निभाया है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि आज के समय में नारीवाद के कई मायने हैं, और हर तरह के नारीवाद से वह पूरी तरह सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि नारीवाद का असली मतलब दूसरों से लड़ना नहीं, बल्कि अपने और अपने परिवार के लिए खड़ा होना है।

फिल्म के बारे में बात करते हुए यामी ने कहा, “अगर आपके पास एक ऐसी कहानी कहने का साहस है जो वास्तव में एक साहसी महिला, सशक्त महिला, या नारीवादी महिला से प्रेरित है, तो मुझे लगता है कि वह नारीवाद का एक सच्चा उदाहरण है।”

उन्होंने कहा कि आज के समय में नारीवाद के कई अलग-अलग रूप सामने आए हैं, और कुछ उनके अनुसार सही नहीं हैं।

यामी ने कहा, ”सही नारीवाद दूसरों से लड़ने या किसी को नीचा दिखाने के बारे में नहीं है। इसके बजाय यह अपने अधिकारों के लिए खड़ा होने, अपने बच्चों के लिए लड़ने और जो सही है, उसके लिए आवाज उठाने के बारे में है। यह अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना और सही बात के लिए लड़ना है। यही मेरा दृष्टिकोण है।”

फिल्म ‘हक’ की बात करें तो, इसकी कहानी शाजिया बानो के नाम की महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका पति (इमरान हाशमी) एक नामी वकील है। वह दूसरी शादी करता है और शाजिया को तीन तलाक देकर छोड़ देता है। वह गुजारा भत्ता देने से भी मना करता है। ऐसे में शाजिया कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है। इस दौरान उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। समाज उसके खिलाफ हो जाता है, और हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है। इस लड़ाई में आखिर शाजिया को उसका हक मिलता है या नहीं, इसका जवाब फिल्म देखने पर मिलेगा।

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