राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज रेड क्रॉस स्वयंसेवकों और महिलाओं से नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने महिलाओं, विशेष रूप से छात्राओं की भूमिका पर जोर दिया, जो बदलाव के उत्प्रेरक हैं। उन्होंने उनकी संभावित भूमिका की तुलना लक्ष्मीबाई से की, जिन्होंने इस बुराई के खिलाफ दृढ़ लड़ाई का नेतृत्व किया।
राज्यपाल सोलन के जिला रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा नालागढ़ में आयोजित जिला स्तरीय रेड क्रॉस मेले के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। शुक्ला ने कहा, “रेड क्रॉस केवल एक मानवीय संगठन ही नहीं है; यह सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए एक शक्तिशाली बल के रूप में भी काम कर सकता है, खासकर ऐसे मेलों जैसे आयोजनों के दौरान।”
राज्यपाल ने रेड क्रॉस आंदोलन को करुणा, एकता और सेवा का प्रतीक बताते हुए हिमाचल प्रदेश में इसके महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “चाहे वंचितों को मुफ्त दवाइयाँ और चिकित्सा सेवा प्रदान करना हो या आपदा प्रभावित लोगों की सहायता करना हो, रेड क्रॉस हमेशा मुश्किल समय में जरूरतमंदों के साथ खड़ा रहा है।”
शुक्ला ने लोगों को रेड क्रॉस से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि इसके मानवीय प्रयासों को बढ़ाया जा सके और उद्योगपतियों से इसके कोष में उदारतापूर्वक योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने जिला शाखा को इसकी आजीवन सदस्यता बढ़ाने का भी निर्देश दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी, हिमाचल प्रदेश और एक निवेशक के बीच सहयोग से स्थापित 2 करोड़ रुपये की लागत वाली ब्लड बैंक कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का उद्घाटन किया।
शुक्ला ने राजोत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘कैंथ के पेड़’ का विमोचन भी किया तथा मनोज अग्रवाल, शशि कौशल, सुरेन्द्र शर्मा और चौधरी हरभजन सिंह सहित दानदाताओं को सम्मानित किया।
उपायुक्त एवं जिला रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष मनमोहन शर्मा ने कहा कि मात्र 10 सदस्यों से शुरू हुई सोसायटी में अब सोलन जिले में 850 से अधिक आजीवन सदस्य हैं।
बाद में राज्यपाल ने नालागढ़ के रेडियाली पंचायत में नशा निवारण जन जागरण कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने जमीनी स्तर पर नशे के खिलाफ लड़ाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हम सभी नशे के खिलाफ चिंतित हैं क्योंकि यह अगली पीढ़ी के भविष्य के लिए खतरा है। यह लड़ाई हर घर से शुरू होनी चाहिए।”
शुक्ला ने सरकारी क्षेत्र में नशामुक्ति केन्द्रों की आवश्यकता पर बल दिया तथा अभियान में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों और महिलाओं से सहयोग मांगा।