January 20, 2025
National

भारत में टीबी के मामलों और मौतों में कमी ‘उल्लेखनीय’ : पूर्व डब्ल्यूएचओ निदेशक

Reduction in TB cases and deaths in India ‘remarkable’: Former WHO director

नई दिल्ली, 15 दिसंबर । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में वैश्विक क्षय रोग (टीबी) कार्यक्रम के पूर्व निदेशक मारियो सी. बी. रविग्लियोन ने रविवार को कहा कि भारत में क्षय रोग (टीबी) के मामलों और इससे होने वाली मौतों में गिरावट ‘उल्लेखनीय’ है।

आईएएनएस से विशेष बातचीत में रविग्लियोन ने कहा कि यह “उच्च स्तर की राजनीतिक प्रतिबद्धता” को दर्शाता है।

इटली के मिलान विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर रविग्लियोन ने कहा, “पिछले 25 वर्षों में भारत में बहुत प्रगति हुई है। पिछले दशक में लगभग 2 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत की गिरावट रही।

यह भारत जैसे देश के लिए उल्लेखनीय बात है। भारत में हर साल लगभग 2.8 मिलियन लोग टीबी से पीड़ित होते हैं।”

हाल के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, टीबी की दर 2015 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 237 से 2023 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 195 तक 17.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ घट गई है।

इसी प्रकार, टीबी के कारण होने वाली मृत्यु दर 2015 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 28 से 2023 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 22 तक 21.4 प्रतिशत कम हो गई।

रविग्लियोन ने कहा, “भारत जैसे विशाल देश में इस घटना में कमी आना निश्चित रूप से इस बात का संकेत है कि कुछ अच्छा किया गया है।”

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि पिछले कुछ सालों में भारत में जिस तरह की राजनीतिक प्रतिबद्धता देखी गई है, वह दुनिया में अद्वितीय है। मैंने कई राष्ट्राध्यक्षों को बीमारियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह जोरदार तरीके से बोलते नहीं देखा है।”

उन्होंने भारत के 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य के बारे में बताया, जो वैश्विक लक्ष्य 2030 से पांच साल पहले है।

प्रोफेसर ने कहा, “भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह अब तक की प्रगति से कहीं बेहतर प्रदर्शन करे।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया, “जीवन बचाने के लिए जनसंख्या की बड़े पैमाने पर जांच का अभियान चलाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे टीबी के मामलों का जल्द पता लगाने में मदद मिलेगी।”

इससे चिकित्सकों को यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि टीबी से पीड़ित लोगों के संपर्क में आए लोग इससे प्रभावित हुए हैं या उन्हें भविष्य में इस बीमारी से बचाने के लिए प्रोफिलैक्सिस दिया जाना चाहिए।

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